अभिषेक जायसवाल/वाराणसी:माघ मास की पूर्णिमा तिथि को मौनी अमावस्या कहते हैं. इस दिन स्नान,दान, पूजा और जप तप का विशेष महत्व है. इस दिन मौन होकर स्नान करना भी विशेष फलदायी होता है. इसके अलावा जरूरतमंदों को दान देने से पितृ भी प्रसन्न होते है. पंचाग के अनुसार हर साल माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को माघ अमावस्या पड़ता है.आइये जानते हैं माघ अमावस्या के बारे में…
काशी के ज्योतिषाचार्य पण्डित संजय उपाध्याय ने बताया कि इस दिन भगवान विष्णु के पूजा का भी विधान है. इस बार यह पूर्णिमा फरवरी महीने में पड़ रही है. हिन्दू पंचांग के अनुसार, 9 फरवरी को सुबह 7 बजकर 59 मिनट से पूर्णिमा तिथि की शुरुआत हो रही है, जो अगले दिन यानी 10 फरवरी को भोर में 4 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगा.ऐसे में मौनी अमावस्या का पर्व 9 फरवरी को ही मनाया जाएगा.
मौन होकर करें स्नान
इस दिन गंगा या किसी भी पवित्र नदी में मौन होकर स्नान करना चाहिए.स्नान के बाद जरूरतमंदों को काले तिल से बने सामान और गुड़ के साथ सामर्थ्य के हिसाब से दान करना चाहिए.इससे पितृ प्रसन्न होते है.
इस समय सबसे शुभ
मौनी अमावस्या पर इस बार कई शुभ संयोग भी बन रहे हैं, इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ वरियान योग का निर्माण भी हो रहे है.सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 7 बजकर 5 मिनट से शुरू हो रहा है जो रात 11 बजकर 29 मिनट पर समाप्त होगा.वहीं सुबह 7 बजकर 8 मिनट से ही वरियान योग भी शुरू हो रहा है.ऐसे में सुबह 7 बजकर 10 मिनट से 9 बजकर 58 मिनट तक का समय स्नान और दान के लिए विशेष पुण्यकारी साबित होगा.
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FIRST PUBLISHED : January 30, 2024, 13:21 IST
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