कब है मोक्ष एकादशी, इस दिन भगवान विष्णु की क्यों की जाती है पूजा, जानें कारण

अनूप पासवान/कोरबा. भगवान नारायण का प्रिया महीना मार्गशीर्ष को माना गया है. इस महिने में कई ऐसे व्रत आते हैं, जिसमें इनकी पूजा की जाती है. इन व्रतों में से एक मोक्ष एकादशी भी है. इस दिन भगवान नारायण की पूजा करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और पितरों को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है. माघ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पडने वाला, यह व्रत व्यक्ति के जीवन में समस्त सांसारिक सुख देता है और नर्क में यातना सहन कर रहे पितरों को मोक्ष प्रदान करता है. क्या है इस व्रत के पीछे की कहानी, इसको लेकर ज्योतिष आचार्य पंडित अमरनाथ द्विवेदी से बातचीत की.

ज्योतिष आचार्य पंडित अमरनाथ द्विवेदी ने बताया कि एक बार वैखानस नाम के राजा हुए करते थे. उन्होंने सपने में देखा कि, उनके पूर्वज नरक में बहुत ही यातना झेल रहे हैं. सुबह उठते ही उन्होंने अपने दरबार में पुरोहितों को बुलाया और सपने का अर्थ पूछा.

इसके पीछे की पूरी कहानी
राजपुरोहितों ने राजा को इस समस्या के समाधान के लिए ऋषि पर्वत मुनि के पास जाने की सलाह दी. राजा ऋषि पर्वत मुनि के पास जाते हैं और अपने सपने के बारे में बताते हुए पितरों के मोक्ष प्राप्ति के लिए उपाय पूछते है. ऋषि कुछ देर के लिए अपनी आंखें बंद करते हैं, और फिर बताते हैं कि उनके पूर्वजों द्वारा जो पाप किए गए हैं. उन्हें उसके परिणाम स्वरुप नर्क में यातनाएं सहनी पड़ रही है. राजा द्वारा उपाय पूछने पर ऋषि ने उन्हें बताया कि माघ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पड़ने वाला मोक्ष एकादशी का व्रत करने से उनके पूर्वजों को मोक्ष प्राप्ति होगी. ऋषि मुनि के बताए अनुसार, राजा ने अपनी पत्नी, बच्चों और रिश्तेदारों के साथ बड़ी श्रद्धा के साथ व्रत किया. इससे भगवान विष्णु प्रसन्न हुए और उनके पूर्वजों को मोक्ष प्रदान किया.

इस तिथि को पड़ रहा व्रत
ज्योतिष आचार्य ने बताया कि मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 22 दिसंबर को सुबह 08.16 बजे शुरू होगी और 23 दिसंबर को सुबह 07 बजे इस तिथि की समाप्ति होगी. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, 22 दिसंबर को ही मोक्षदा एकादशी मनाई जाएगी.

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