अनूप पासवान/कोरबाः प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह के पूर्णिमा तिथि पर देव दिवाली मनाने की परंपरा है. हिंदू धर्म में देव दिवाली को भी दीपावली की तरह महत्व दिया गया है. देव दिवाली का यह पर्व दीपावली की ठीक 15 दिन बाद पूर्णिमा को मनाया जाता है. मुख्य रूप से काशी में इस त्यौहार को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. साथ ही देश भर में इस दिन भगवान नारायण की पूजा का विधान है. इस दिन दीपदान का भी बड़ा ही महत्व बताया गया है. देव दीपावली को लेकर ज्योतिष आचार्य पंडित दशरथ नंदन द्विवेदी ने विस्तार से बताया.
ज्योतिष आचार्य पंडित दशरथ नंदन द्विवेदी ने बताया कि काशी पंचांग के अनुसार इस वर्ष देव दिवाली 27 नवंबर को पूर्णिमा के दिन मनाई जाएगी. इस दिन भगवान नारायण के पूजन का विशेष महत्व है. प्रत्येक व्यक्ति को इस दिन भगवान नारायण की पूजा के साथ सत्यनारायण कथा का श्रवण करना चाहिए जिससे कि उनके जीवन में मानसिक शांति और सुख समृद्धि मिलती है.
ज्योतिष आचार्य पंडित दशरथ नंदन द्विवेदी के बताए अनुसार, देव दिवाली भगवान नारायण के स्वागत में मनाई जाती है. दीपावली के बाद एकादशी को भगवान नारायण सो कर उठते हैं इस दिन से सभी शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है और भगवान नारायण की स्वागत में देव दिवाली मनाया जाता है.
.
FIRST PUBLISHED : November 22, 2023, 12:18 IST