कब है देवउठनी? निद्रा में रहते हैं देवता शयन, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

लखेश्वर यादव/ जांजगीर चांपा. देवउठनी एकादशी, जिसे प्रबोधनी एकादशी या देवउठनी ग्यारस भी कहा जाता है, प्रतिवर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है. इस साल यह 23 नवंबर 2023 गुरुवार को मनाई जाएंगी. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से विशेष लाभ होता है और धार्मिक मान्यता के अनुसार एकादशी तारीख को सच्ची श्रद्धा और भक्ति भाव से भगवान श्री विष्णु की पूजा उपासना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

देवउठनी एकादशी के दिन, सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त होकर पानी में स्नान करें. इसके पश्चात देवउठनी एकादशी व्रत संकल्प लें. सूर्य देव को जल का अर्घ्य देकर फिर भगवान श्री विष्णु जी की पूजा करें, उपयुक्त फल, फूल, पुष्प, धूप, दीप, कपूर-बाती, मिष्ठान, आदि से. अंत में आरती अर्चना करें. दिन भर उपवास रखें और संध्याकाल में गन्ने को रखकर तुलसी चौरा में मंडप बनाकर चावल के आटे का चौक बनाकर तुलसी मां, सालिकराम और गन्ने की पूजा अर्चना करें और आरती करें. इससे भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

शुभ कार्यों शुरूआत
आषाढ़ माह में देवशयनी एकादशी से लेकर चातुर्मास मास तक, देवता शयन निद्रा में रहते हैं. इस अवधि के बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु शयन से बाहर आते हैं, जिससे चातुर्मास का समापन होता है. इस दिन से शुभ कार्यों का प्रारंभ होता है, जैसे विवाह, मुंडन, सगाई, गृह प्रवेश, आदि. इससे शुभ मुहूर्तों की खोज और शुभ घटनाओं का आरंभ होता है.

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