कनाडा में बैठकर राजस्थान में करणी सेना प्रमुख की हत्या की आखिर कैसे रची गई साजिश

सामने आया था सीसीटीवी फुटेज

गोगामेड़ी की पांच दिसंबर को जयपुर में उनके आवास के बैठक कक्ष में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस घटना की एक सीसीटीवी फुटेज में हमलावर गोगामेड़ी पर कथित तौर पर गोलियां चलाते दिख रहे थे. पुलिस ने गोली चलाने वाले दोनों आरोपियों की पहचान जयपुर के रोहित राठौड़ और हरियाणा के महेंद्रगढ़ के नितिन फौजी के रूप में की थी और उनकी सूचना देने वाले को पांच लाख रुपये नकद इनाम देने की घोषणा की थी.

चंडीगढ़ में छिपे थे 2 आरोपी

दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने रविवार को बताया कि अपराध शाखा की एक टीम ने राजस्थान पुलिस के साथ संयुक्त अभियान चलाकर दोनों को चंडीगढ़ के सेक्टर 22 से पकड़ लिया. आरोपियों के साथ उनका एक और सहयोगी उधम सिंह भी था और उसे भी पकड़ लिया गया. दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी के मुताबिक, आगे की पूछताछ के लिए आरोपियों को जयपुर पुलिस को सौंप दिया जाएगा. राजस्थान पुलिस के अतिरिक्त महानिदेशक (अपराध) दिनेश एम एन ने बताया कि फौजी और राठौड़ चंडीगढ़ में छिपे हुए थे.

कनाडा में रची गई साजिश

सूत्रों ने कहा है कि करणी सेना प्रमुख सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की हत्या की साजिश का मास्टरमाइंड राजस्थान का गैंगस्टर रोहित गोदारा था, जिसके बारे में संदेह है कि वह कनाडा में रह रहा है और पिछले साल पंजाबी गायक सिद्धू मूस वाला की हत्या से जुड़े गोल्डी बराड़ और लॉरेंस बिश्नोई के गिरोह से निकटता से जुड़ा हुआ है. सूत्रों ने बताया कि गोदारा ने गोगामेड़ी को मारने का काम और एक शूटर को नियुक्त करने की जिम्मेदारी वीरेंद्र चरण को सौंपी थी.

जेल में हुई थी मुलाकात

चरण और गोदारा की मुलाकात राजस्थान के अजमेर की जेल में बलात्कार के एक मामले में सजा काटने के दौरान हुई थी. सूत्रों ने बताया कि गोदारा ने जांचकर्ताओं को बताया कि गोगामेड़ी ने उसके खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसके लिए उसने बदला लेने की योजना बनाई थी. चरण ने जल्द ही गोदारा के गुस्से का फायदा उठाया और उसे गोगामेड़ी को मारने के लिए तैयार किया.

दूसरे शूटर को जेल में डलवा दिया

चरण ने अपने दूसरे शूटर नितिन फौजी को जेल में डलवा दिया. सूत्रों ने बताया कि फौजी विदेश में बसना चाहता था और इसलिए उसने चरण से सलाह मांगी, जिसने मदद का आश्वासन दिया. सूत्रों ने बताया कि दोनों शूटरों ने गोगामेड़ी को मारने की योजना बनाई और हत्या से ठीक पहले और बाद में चरण के संपर्क में रहे.

बंदूकें तलाश कर रही पुलिस

चरण ने अपने नेटवर्क के जरिए जयपुर में दोनों शूटरों को बंदूकें भेजीं. सूत्रों ने बताया कि बाद में दोनों ने बंदूकें शहर के एक होटल के पास दफना दीं. पुलिस बंदूकें बरामद करने की कोशिश कर रही है. शुरुआती जांच में गोदारा और गोगामेड़ी के बीच संपत्ति विवाद का मामला सामने आया था. सीसीटीवी कैमरे में कैद हुई करणी सेना प्रमुख सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की सनसनीखेज हत्या के बाद राजस्थान में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुआ.

ग्यारह सदस्यीय एसआईटी (विशेष जांच दल) की निगरानी कर रहे दिनेश ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘राजस्थान पुलिस महानिदेशक और दिल्ली पुलिस द्वारा गठित एसआईटी ने शनिवार देर रात आरोपियों को पकड़ लिया.” जयपुर पुलिस आयुक्त बीजू जॉर्ज जोसेफ ने कहा कि आरोपियों को जयपुर लाने के बाद हत्या के मामले में औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया जाएगा. गोगामेड़ी की हत्या के लिए हमलावरों को सुपारी देने के आरोप में शनिवार को जयपुर में एक और व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया था.

लॉरेंस बिश्नोई गिरोह से जुड़े गैंगस्टर ने ली थी जिम्मेदारी

पुलिस के अनुसार, गोगामेड़ी हत्याकांड के साजिशकर्ताओं में से एक रामवीर ने हत्या से पहले जयपुर में अपने दोस्त फौजी की मदद के लिए इस साजिश को अंजाम देने के लिए तैयारियां की थी. आरोपी गोगामेड़ी से मिलने के बहाने उनके घर गए थे और कुछ मिनट बात करने के बाद उन्होंने गोगामेड़ी पर गोलियां चला दीं. उन्होंने गोगामेड़ी के सहयोगी नवीन शेखावत की भी गोली मारकर हत्या कर दी थी जिसके माध्यम से वे गोगामेड़ी के आवास तक पहुंचे थे. लॉरेंस बिश्नोई गिरोह से जुड़े गैंगस्टर रोहित गोदारा ने हत्या की जिम्मेदारी लेते हुए कहा था कि गोगामेड़ी ने उसके दुश्मनों का समर्थन किया है.

ऐसे गिरफ्त में आए शूटर

गोल्डी बराड़ और लॉरेंस बिश्नोई से करीबी तौर पर जुड़े गैंगस्टर रोहित गोदारा ने इस हत्याकांड की जिम्मेदारी ली थी. रोहित गोदारा ने पहले एक फेसबुक पोस्ट में लिखा था कि गोगामेदी अपने दुश्मनों की मदद कर रहे थे और इसी वजह से हमला हुआ. पुलिस ने कहा कि शूटर, गोगामेड़ी की हत्या के बाद रोहित गोदारा के करीबी सहयोगी वीरेंद्र चौहान के साथ लगातार संपर्क में थे, जिसका नाम कई आपराधिक मामलों में भी था. शूटरों की हालिया लोकेशन का पता उनके मोबाइल फोन से लगाया गया, क्योंकि वे भागने के दौरान वीरेंद्र चौहान को कॉल कर रहे थे. शूटरों ने पुलिस को बताया है कि वे पहले ट्रेन से हिसार गए और फिर उधम सिंह के साथ मनाली गए. वे एक दिन के लिए मंडी में भी रुके. मंडी से तीनों लोग चंडीगढ़ आए, जहां उन्हें पकड़ लिया गया. 

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