“कतार में अंतिम स्थान पर खड़े लोगों तक हो न्याय की पहुंच…”, फ़ली सैम नरीमन का आदर्श वाक्य था

सुप्रीम कोर्ट के दिग्गज वकील रहे फ़ली सैम नरीमन (10 जनवरी 1929 से -21 फरवरी 2024) के रूप में हमने न सिर्फ कानूनी क्षेत्र के दिग्गज बल्कि एक प्रख्यात न्यायविद को भी खो दिया है. उनके निधन से आई शून्यता कोआने वाले समय में कभी भरा नहीं जा सकता. मेरे करियर के शुरुआती दौर 1982 में जब मैंने इस पेशे में एंट्री की तो स्वर्गीय फ़ली नरीमन को न केवल एक सबसे लोकप्रिय और प्रतिष्ठित वकील के रूप में देखा, बल्कि कानूनी बिरादरी के भीतर एक प्रतिष्ठित न्यायविद के रूप में भी देखा.

उनकी प्रतिष्ठित उपलब्धियों में से औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 25-0 की वैधता को जयपुर में राजस्थान उच्च न्यायालय की तीन न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष वकीलों की एक श्रृंखला के साथ चुनौती दी गई और बहस हुई. मैं बहुत भाग्यशाली रहा हूं और जयपुर में राजस्थान उच्च न्यायालय में उनकी बहस के दौरान शामिल होना मेरे लिए एक सीखने वाला अनुभव रहा. जब मैं राजस्थान उच्च न्यायालय में वकील था, तब वह कई बार उपस्थित हुए थे.

राजस्थान उच्च न्यायालय में जज के रूप में मेरी पदोन्नति के बाद उन्होंने संवैधानिक मुद्दों में वकील के रूप में मेरे सामने कई महत्वपूर्ण मामलों में पैरवी की और मेरे उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश बनने के बाद मैं इतना भाग्यशाली था कि उन्होंने न केवल अच्छी संख्या में मामलों में पैरवी की, बल्कि मेरे जीवन के कई क्षेत्रों में भी मेरा साथ दिया.

सुप्रीम कोर्ट से पद छोड़ने के बाद अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए उनका आशीर्वाद और मार्गदर्शन लेने के लिए मैं हौज खास स्थित उनके घर पर गया.  नरीमन आज भले ही हमारे बीच नहीं हैं, मगर वो भारत के महान न्यायविद् थे और भारत के सबसे प्रतिष्ठित संवैधानिक वकीलों में से एक थे. उन्होंने एनजेएसी फैसले सहित कई ऐतिहासिक मामलों पर बहस की है.

उनका आदर्श वाक्य हमेशा कानून के शासन को कायम रखना और कतार में अंतिम स्थान पर खड़े लोगों तक न्याय तक पहुंच है.

जस्टिस अजय रस्तोगी सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज हैं…

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.

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