कड़कनाथ मुर्गी और बटेर पालन ने बदली युवक की किस्मत, अब हो रही है लाखों में कमाई

दीपक कुमार/बांका: किसान अब पारंपरिक खेती से दूर होते जा रहे हैं. इसके पीछे कारण यह है कि उम्मीद के अनुरूप उनको मुनाफा नहीं मिल पता है. इसलिए अब खेती-बाड़ी से इतर कमाई का जरिया ढूंढने लगे है. इसमें कृषि से हीं जुड़ा मुर्गी पालन किसानों के लिए कमाई का बेहतर जरिया बनकर उभरा है. बड़े पैमाने पर लोग इस धंधे से जुड़ भी रहे हैं. खासकर प्रगतिशील किसान अब व्यवसायिक खेती के जरिए मोटी आमदनी कर समाज में एक अलग पहचान स्थापित करने में कामयाब हो रहे हैं.

बांका जिला के बाराहाट प्रखंड अंतर्गत ओरिया गांव निवासी राहुल कुमार भी कड़कनाथ मुर्गी के साथ बटेर पालन कर रहे हैं. इसके अलावा अंडा भी उत्पादन करते हैं. राहुल ने महज 100 कड़कनाथ गुर्गी और 50 बटेर से इसकी शुरूआत की थी. जब इसमें मुनाफा होने लगा तो इसमें बढ़ोतरी कर सालाना अच्छी कमाई भी कर रहे हैं. राहलु ने बताया कि मुर्गी के साथ बटेर पालन का आईडिया दोस्त ने दिया था.

शुगर पीड़ित के लिए भी लाभदायक है कड़कनाथ मुर्गा
राहुल ने बताया कि ऑनलाइन माध्यम से दोस्त की सलाह पर कड़कनाथ मुर्गी के साथ बटेर पालन कर रहे हैं. शुरूआत तो छोटे स्तर से हीं किया और अब मुनाफे को देखते हुए 500 कड़कनाथ मुर्गी और 200 बटेर का पालन कर रहे हैं. साथ हीं अंडा भी उत्पादन कर रहे हैं. राहुल ने बताया कि अन्य मुर्गियों के पालन की अपेक्षा कड़कनाथ को पालना बेहद सरल है, क्योंकि इसमें बीमारी लगने की संभावना कम रहती है. यह रोग मुक्त प्रजाति है. इसके पालन में कम खर्च पर अधिक मुनाफा होता है. राहुल ने बताया कि फार्मिंग में नुकसान नहीं होता है. कड़कनाथ और बटेर की काफी डिमांड होती है. खास तौर पर शुगर पीड़ित के लिए कड़कनाथ काफी लाभदायक होता है.

चार से पांच लाख तक की हो जाती है कमाई
राहुल ने बताया कि कड़कनाथ और बटेर लोगों के लिए काफी फायदेमंद है. दोनों में प्रचुर मात्रा में आयरन और प्रोटीन पाया जाता है और ठंड में दोनों का डिमांड अधिक रहता है. कड़कनाथ का चूजा 85 रुपए प्रति पीस मिलता है और बटेर का चूजा 20 रुपएमें मिल जाता है. कड़कनाथ मुर्गे को तैयार करने में 400 रूपए तो बटेर में 80 रुपए लगता है. बाजार में दोनों का रेट अच्छा मिल जाता है. उन्होंने बताया कि कड़कनाथ मुर्गा 600 रुपए किलो तो बटेर 200रुपए जोड़ा बिकता है. वहीं कड़कनाथ मुर्गी का अंडा 20 रूपए प्रति पीस एवं बटेर का अंडा 5 रूपए प्रति पीस के हिसाब से बिकता है. वहीं सालाना 4 से 5 लाख तक की कमाई हो जाती है.

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