कच्ची हल्दी की सब्जी बनाने का ये तरीका आजमाएं, याद रहेगा जायका

हाइलाइट्स

स्वादिष्ट होने के साथ औषधि की तरह गुणकारी भी होती है कच्ची हल्दी की सब्जी
जायके में किसी भी नॉन वेज ऑइटम पर पड़ेगी भारी
वैद्यजी ने बताया कई तरह से है फायदेमंद

बाजार में सर्दियों के मौसम में कच्ची हल्दी तकरीबन सभी सब्जी वालों के पास दिखने लगती है. हल्दी के गुणों से परिचित बहुत से लोग इसे घर ले आते हैं और किसी न किसी रूप में इसका सेवन करते हैं. फिर भी बच्चों को कच्ची हल्दी खिला पाना तकरीबन सभी के लिए मुश्किल होता है. बहुत हुआ तो माएं-दादी डांट डपट कर इसे दूध में मिला कर दवा की तरह नई पौध को पिला देती हैं. लेकिन इसी हल्दी की ऐसी जायकेदार सब्जी बन जाए जो मसालेदार और बेहद चटपटी होने के साथ कच्ची हल्दी के स्वाद से बिल्कुल अलहदा हो तो क्या बात है. हां, कच्ची हल्दी की सब्जी जोरदार और जायकेदार होती है. जो लोग राजस्थान के मेवाड़ इलाके में गए होंगे उनमें से बहुत से लोगों ने इसे चखा भी होगा. लेकिन स्वाद के दबाव में ज्यादातर लोगों ने इसे बनाने की नहीं सोची होगी. इसे बनाना बेहद आसान है और यकीन मानिए इसे आप अपने स्वादानुसार बना भी सकते हैं.

सामाग्री और तैयारी
कहने की जरूरत नहीं है कि कच्ची हल्दी की सब्जी बनाना है तो कच्ची हल्दी होनी ही चाहिए. एक औसत चार छह व्यक्तियों के परिवार में आधी किलो हल्दी की सब्जी बनाने की तरकीब यहां बताते हैं. चूंकि इसे दस पंद्रह दिन तक स्टोर करके खाया जा सकता है, लिहाजा आधा किलो बना ही लेना चाहिए. तो साहब, बाजार से अच्छी और सीधी सीधी बगैर ज्यादा गांठ वाली आधा किलो हल्दी खरीद लाइए. धो लीजिए. खूब अच्छे से साफ कर लीजिए, क्योंकि इसे छीलना है और छीलने के बाद हल्दी को धोना ठीक नहीं है. वरना बार बार रंग उतरता जाएगा. छील लीजिए. मोटे दाने वाले कद्दूकस पर इसे घिस लीजिए.

इधर तीन से चार औसत साइज वाले प्याज बारीक काट लीजिए. चाहें तो पीस भी सकते हैं. 15-20 लहसुन की कलियां छील कर पीस लें या फिर लहसुन को चाकू से दबा कर बारीक टुकड़े कर लें. डेढ़-दो इंच का अदरक कूट कर पेस्ट बना लें. ठीक लगे तो डेढ़ पाव छीली हुई मटर ले सकते हैं. अगर गोभी पसंद है तो गोभी के छोटे छोटे टुकड़े भी ले सकते हैं. दो टमाटर छिलके हटा कर पीस लें. इसके अलावा लाल, हरी मिर्च और हरी धनिया, के अलावा चम्मच भर जीरा, एक बड़ी (काली इलाइची) चार छोटी इलाइची दो-तीन लौंग, एक छोटा टुकड़ा दालचीनी का, थोड़ी सी हींग, दो-तीन तेज पत्ते, तीन बड़े चम्मच धनिया पाउडर और तकरीबन तीन सौ ग्राम दही के अलावा घी चाहिए होगा. हां, किसी भी दूसरी सब्जी की तरह नमक तो होना ही है.

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सीधी कार्रवाई
अब तकरीबन दो -ढाई सौ ग्राम देसी घी कढ़ाही में गरम करके उसमें इसे भुनने के लिए डाल दीजिए. खयाल रखिए हल्दी घी में डालते ही वो कड़ाही में चिपकने लगेगी. लिहाजा लगातार चलाते रहिए. चिपकी हल्दी को खुरच कर साफ भी करते रहिए. तकरीबन 20-25 मिनट भूनने के बाद घी अलग होता दिखेगा और हल्दी का रंग बदल गया होगा. अब हल्दी भुन गई. इसे निकाल कर अलग रख लीजिए. इसी कड़ाही का फिर से इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन घी को छान कर निकाल लें. जिससे उसमें हल्दी न रह जाए. साथ ही कड़ाही से चिपकी हल्दी भी निकाल लेनी चाहिए. नहीं तो बाकी प्रक्रिया में ये जल जाएगी और स्वाद बिगाड़ेगी.

अब अगर जरूरत लग रही हो तो बचे घी के साथ थोड़ा घी और मिला कर उसमें हींग, तेज पत्ता और जीरा, साबुत इलाइचियां, दालचीनी डाल कर चटका लें. मतलब इन मसालों का रस घी में आ जाए तब प्याज को घी में भून कर हल्का सुनहरा कर लें. प्याज जलने न पाए. अब अदरक का पेस्ट डाल कर उसे भी भून लें. इसमें भी प्याज भुन रहा है, इसी कारण हल्का सुनहरा होने पर ही अदरक डालनी है. साथ ही हरी मिर्च में चीरा लगा कर साबुत इसमें डाल दें. अब इसमें पिसा हुआ टमाटर डाल कर कुछ देर पकाएं और जायके के हिसाब से नमक डाल लें. फिर दही में धनिया पाउडर, मिर्च और अगर लाल रंग लाना हो कश्मीरी मिर्च डाल कर फेंट लें. मिर्च जायके के हिसाब से कम ज्यादा कर सकते हैं. इसे कड़ाही में डाल लें और तेज आंच पर मुसलसल चलाते हुए दही में उबाल आने दें. चलाते रहने से दही फटेगा नहीं. बिलकुल चिंता न करें. एक स्थिति आएगी जब घी किनारे दिखने लगेगा. अब मटर और गोभी दोनों या फिर एक जो आप चाहें, उसे डाल कर तकरीबन गलने तक पका लें. अब अलग की गई हल्दी इसमें मिला लें. दो-चार मिनट पकने के बाद इसमें तने समेत हरी धनिया के बारीक टुकड़े डाल कर ढंक दें. धनिया दिखने की जगह सब्जी में गुम हो जानी चाहिए और इसी के साथ ये हल्दी की लज़ीज सब्जी तैयार है. जिन्होंने कीमा मटर जैसे नॉनवेज पकवान देखें हैं लेकिन खाते नहीं हैं, उनके लिए उससे बेहतर जायके वाली ये सब्जी होगी. और घी में पकी हल्दी के गुण दादी-नानी ने इतने अधिक बताये हैं कि उसका जिक्र यहां करना गैरजरूरी होगा. ये फायदा तो आपको इस सब्जी में हासिल ही होगा. इम्यूनिटी बूस्ट करने वाली इससे जायकेदार सब्जी दूसरी नहीं हो सकती. यकीन मानिए चटपटा पसंद करने बच्चे भी इसे उतने ही मन से खाएंगे जितना की बड़े बूढ़े.

Vaidya Achyut Kumar Tripathi

वैद्य अच्युत कुमार त्रिपाठी

वैद्य जी की राय में हल्दी की सब्जी के गुण
हल्दी के बारे में बहुत से इलाकों में एक चलन ये है कि जिन्हें पीलिया हुआ हो, वे लोग हल्दी नहीं खाते. लिहाजा इस सब्जी के बारे में वैद्यजी की भी राय ली गई. वैद्य और राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ के वरिष्ठ गुरु पंडित अच्युत त्रिपाठी का कहना है कि हल्दी को घी में भून देने के बाद उसके गुण बदल जाते हैं. अब ये किसी भी तरह से नुकसान नहीं करती. इस तरह से कच्ची हल्दी के प्रयोग से एलर्जी और खून के विकार दूर होते हैं. साथ ही इसमें दालचीनी, इलाइची, तेज पत्ता, जीरा वगैरह डालने से भी इसमें पित्त शमन के गुण आ जाते हैं. घी अपने आप में आयुर्वेद के अनुसार बहुत लाभकारी है. वैद्य त्रिपाठी के अनुसार इन सब तत्वों के कारण ये सब्जी गुणकारी है.

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