‘कई बार राजतिलक होते-होते वनवास हो जाता है’, फिर छलका मामा शिवराज का दर्द, नए आवास का नाम रखा ‘मामा का घर’

भाजपा नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने 2023 के विधानसभा चुनावों में अपनी पार्टी को शानदार जीत दिलाई, जिसके बाद भाजपा ने उन्हें किनारे करते हुए मोहन यादव को राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में ताज पहनाया। चार बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके 64 वर्षीय दिग्गज नेता अगर नजरअंदाज किए जाने से निराश थे तो सार्वजनिक रूप से गुस्से का प्रदर्शन नहीं किया गया। उस समय, खुद को एक निष्ठावान भाजपा कार्यकर्ता बताने वाले चौहान को दिल्ली में भाजपा आलाकमान के आदेश के आगे झुकना अच्छा लग रहा था। लेकिन, जब वह मंगलवार शाम शाहगंज शहर में एक सभा को संबोधित कर रहे थे, तो उनका दर्द साफ तौर पर छलक गया। 

भावुक होकर चौहान ने सभा से कहा कि कभी-कभी कोई राज्याभिषेक का इंतजार करता है लेकिन अंत में उसे वनवास मिलता है। पिछली भाजपा सरकार द्वारा शुरू किए गए कार्यों के बारे में बात करते हुए, जिसमें लाडली बहना योजना (महिला कल्याण के लिए), लाडली बहना योजना के लाभार्थियों के लिए आवास योजना शामिल हैं, उन्होंने कहा, “नई सरकार इन सभी कार्यों को आगे बढ़ाएगी। कहीं न कहीं कोई बड़ा उद्देश्य होगा, कभी-कभी राजतिलक होने तक व्यक्ति को वनवास भी मिल जाता है।” हालाँकि, उन्होंने तुरंत कहा, “लेकिन यह सब किसी न किसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए होता है।”

बच्चे और महिलाएँ भी उन्हें प्यार से मामा कहकर बुलाते थे। अपने चुनाव अभियानों में, चौहान ने खुद को महिला सशक्तिकरण के चैंपियन के रूप में पेश किया था। उन्होंने लाडली बहना परियोजना के तहत धन जारी करने के लिए एक कार्यक्रम में दो महिलाओं के पैर भी धोए थे, जिन्होंने उन पर फूलों की वर्षा की थी। इस परियोजना के तहत, राज्य में गरीब परिवारों की पात्र महिलाओं के बैंक खातों में 1,250 रुपये हस्तांतरित किए जाते हैं। 

चौहान ने बुधनी सीट पर अपने कांग्रेस प्रतिद्वंद्वी पर 1 लाख से अधिक वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी। जहां बीजेपी ने 230 विधानसभा सीटों में से 163 सीटें जीतीं, वहीं कांग्रेस सिर्फ 66 सीटें हासिल कर पाई। इसके साथ ही उन्होंने अपने नए आवास के बाहर “मामा का घर” लिखवाया है। उन्होंने एक्स पोस्ट में लिखा कि मेरे प्यारे बहनों-भाइयों और भांजे-भांजियों, आप सबसे मेरा रिश्ता प्रेम, विश्वास और अपनत्व का है। पता बदल गया है, लेकिन “मामा का घर” तो मामा का घर है। आपसे भैया और मामा की तरह ही जुड़ा रहूँगा। मेरे घर के दरवाजे सदैव आपके लिए खुले रहेंगे। आपको जब भी मेरी याद आये या मेरी जरूरत हो, नि:संकोच घर पधारिये आखिर यह आपके मामा और भैया का घर जो है।

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