औषधीय गुणों से भरपूर है यह इत्र, सेहत के लिए लाभकारी, खाने में भी होता है इस्तेमाल, जानें कीमत और खासियत

अंजली शर्मा/कन्नौज: सुगंध नगरी के नाम से विश्व विख्यात कन्नौज में सर्दियों के मौसम में एक ऐसा इत्र बनाया जाता है, जो की औषधि गुणों से भरपूर है. हिमालय औषधि के साथ-साथ गरम मसाले एवं अन्य चीजों के प्रयोग से इस इत्र को तैयार किया जाता है. जिस कारण इसकी तासीर बहुत गर्म हो जाती है. गल्फ कंट्री में इसकी बहुत ज्यादा डिमांड है. सर्दी, खांसी, जुकाम के साथ-साथ यह कुछ खाने की चीजों में भी प्रयोग किया जाता है.

इत्र व्यापारी निशिष तिवारी और शिवा बताते हैं कि शमामा इत्र पूरी तरह से नेचुरल तरीके से तैयार किया जाता है. इसमें किसी तरह के केमिकल का प्रयोग नहीं होता है. यह शमामा नाम का इत्र बिल्कुल हर्बल होता है, जो की अलग-अलग जड़ी बूटियां, लकड़ियों, मसाले और आवश्यक तेलों के मिश्रण के उपयोग से बनाया जाता है. इसमें कई हिमालयन औषधि पड़ी होती है. इसमें भरपूर मसालेदार सुगंध होती है. कन्नौज के लगभग सभी इत्र व्यापारी अपने पास अलग-अलग फार्मूले से शमामा का उत्तर बनाते हैं.

किन चीजो का होता इस्तेमाल
कन्नौज की अति प्राचीन इत्र बनाने की पद्धति से ही यह इतर भी बनाया जाता है. जिसमें पारम्परिक डेग और भभका विधि का प्रयोग किया जाता है. शमामा में सबसे आम सामग्री में कुछ मेहंदी, कस्तूरी, अंबर, लोबान, लौंग, कपूर, नागर मोथा, केसर, जायफल कई प्रकार के गरम मसाले, कई गुप्त हिमालयन औषधि का प्रयोग करके यह इत्र तैयार किया जाता है. इसमे लगभग 20 से 25 चीजे मिलाई जाती हैं.

कई देशों में है इतर की डिमांड
एक बार प्रयोग करने पर यह इत्र काफी लंबे समय तक चलता है. इस इत्र की मांग संयुक्त अरब, अमीरात, सऊदी अरब, कतर सहित गल्फ कंट्रारियो में बहुत होता है. यह एक गर्म इत्र है, इसलिए कई लोग जो वर्ष में अधिकांश समय ठंडी जलवायु में रहते हैं. उन्होंने भी इसका उपयोग करना शुरू कर दिया है. कुछ लोग यह भी दावा करते हैं कि इससे उन्हें सर्दी और खांसी के दौरान बहुत अच्छा महसूस होता है.

जानिए कीमत
शमामा इत्र के रेट की बात की जाए तो सभी व्यापारी अपने अलग-अलग फार्मूले के साथ यह इत्र तैयार करते हैं. कुछ तो 10 हज़ार से 20 हज़ार प्रति किलोग्राम से भी यह इत्र तैयार कर देते हैं. तो कुछ के रेट लाखों में चले जाते हैं. इन सभी में एक चीज समान होती है कि यह बिल्कुल ही हर्बल होता है और नेचुरल रहता है. लेकिन इसमें मसाले का फर्क ऊपर नीचे होता है. जिस कारण इसके रेट भी ऊपर नीचे हो जाते हैं.

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