तनुज पाण्डे/नैनीताल: उत्तराखंड का नैनीताल अपने प्राकृतिक सौंदर्य के साथ ही साथ प्राकृतिक संपदा से भी समृद्ध है. यहां के बेहद खूबसूरत जंगलों में कई तरह की वन संपदा पाई जाती है. जिनके कई औषधीय गुण है. ऐसा ही एक पौधा जो आज विलुप्ति की कगार में है. इसका नाम है पटवा. कई औषधिय गुणों से युक्त ये पौधा नैनीताल और इसके आस पास के इलाकों में पाया जाता है जो आज बेहद कम ही नजर आता है.
नैनीताल से महज 13 किमी दूरी पर स्थित पटवाडांगर नाम की एक जगह है. इस जगह को पटवड़ांगर नाम यहां उगने वाले इस पौधे के नाम पर ही मिला है. लेकिन आज ये पटवा विलुप्ति की कगार पर है. डी एस भी बी परिसर नैनीताल के वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रोफ़ेसर डॉ ललित तिवारी ने बताया कि कई औषधीय गुणों से भरपूर पटवा कई तरह से महत्वपूर्ण है. उन्होंने बताया कि इसकी निरंतर घटती संख्या के कारण इसे आई यू सी एन ने क्रिटिकली इन डेंजरड कैटेगरी में रखा है.
विलुप्ति की कगार पर
विलुप्ति की कगार में पहुंच चुके इस पौधे की पहचान साल 1925 में पहली बार ब्रिटिश वनस्पति वैज्ञानिक ऑसमॉसटोन ने पटवडांगर क्षेत्र में की थी. प्रोफेसर तिवारी ने बताया कि इस पौधे का वैज्ञानिक नाम मीजोट्रोपिस पैलीटा है. ये फबासीए कुल का पौधा है. वर्तमान में पटवडांगर क्षेत्र में इस पौधे की संख्या महज 300 से लेकर 400 तक रह गई है. प्रोफेसर तिवारी ने बताया कि इसके अलावा ये पौधे नैनीताल के डोटी जिले में पाया गया है.
कई औषधीय गुणों से युक्त है ये पौधा
प्रोफेसर तिवारी ने बताया कि चौड़ी पत्तियों युक्त ये पौधा रेशेयुक्त होता है. इसके अलावा इसमें कई तरह के औषधीय गुण पाए जाते हैं. इस पौधे में कई तरह के एंटी ऑक्साइड प्रॉपर्टी, एंटी माइक्रोबल प्रॉपर्टी मौजूद है इसके अलावा ये पौधा नाइट्रोजन फ्रिक्शेशन का काम करता है. उन्होंने बताया कि ये पौधा पेट के रोगों को दूर करने में कारगर है. साथ ही पेट के कीड़ों, एलर्जी, दाद-खाज खुजली के लिए भी ये पौधा रामबाण है.
(NOTE: इस खबर में दी गई जानकारी तथ्यों पर आधारित है. ‘लोकल 18’ इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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FIRST PUBLISHED : November 26, 2023, 12:03 IST