सत्यम कुमार/भागलपुर. कोरोना आने के बाद लोगों को ऑक्सीजन का महत्व पता चला था. लेकिन जैसे ही कोरोना खत्म हुआ लोग इसके महत्व को भी भूलने लगे. एक बार फिर कोरोना ने दस्तक दे दी है. ऐसे में लोगों को एक बार फिर से ऑक्सीजन कमी का डर सताने लगा है. पहले भी जब कोरोना में मौत का सिलसिला शुरू हुआ था, तो सरकार के द्वारा सरकारी अस्पतालों में बड़े-बड़े ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए थे. प्लांट लगने के बाद भी सिलेंडर वाले ऑक्सीजन की आवयश्कता भी पड़ती थी. लेकिन अब पूर्वी बिहार के सबसे बड़े अस्पताल मायागंज अस्पताल में बने ऑक्सीजन प्लांट के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है. क्योंकि दोनों प्लांट खराब हैं. ऐसे में अगर केस की संख्या बढ़ती है तो फिर ऑक्सीजन के लिए हाहाकार मच सकता है.
अब कोरोना के नए सब वेरिएंट JN.1 ने दस्तक दी है, जिससे कुछ लोगों की मौत भी हुई है. आपको बता दें कि मायागंज अस्पताल में दो ऑक्सीजन प्लांट बनाकर तैयार किए गए हैं. एक हजार व एक 300 एलपीएम का प्लांट लगाया गया है. लेकिन पिछले कई महीने से दोनों प्लांट बंद पड़े हैं. वहीं, केवल एक स्टोरेज प्लांट पर पूरे अस्पताल का भार है. इसको लेकर जब जिलाधिकारी सुब्रत सेन से बात की गई तो उन्होंने बताया कि दो प्लांट फंक्शन में है. इससे पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन मिल रही है. वहीं, अन्य दो प्लांट अक्टूबर से खराब हैं. इनका फिल्टर खराब हो गया था. इंजीनियर द्वारा इसके फिल्टर को ले जाया गया है. जल्द ही सही कराकर इसमें लगा दिया जाएगा.
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रोजाना 3 हजार से अधिक पहुंचते हैं मरीज
आपको बता दें कि आईसीयू व ऑपरेशन थिएटर में इन प्लांट से ऑक्सीजन नहीं पहुंच पा रहा है. PSA ऑक्सीजन प्लांट का जीवनकाल 10 साल का ही होता है. अगर ऐसे ही यह प्लांट पड़ा रहा तो बेकार पड़ जाएगा. रोजाना इस अस्पताल में 3 हजार से अधिक मरीज पहुंचते हैं. 500 से अधिक मरीज भर्ती रहते हैं.
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FIRST PUBLISHED : January 1, 2024, 15:45 IST