ओडिशा हाईकोर्ट (Orissa High Court) ने कहा कि महिला ग्राम प्रधानों के पति उनकी जगह प्रॉक्सी सरपंच के तौर पर काम कर रहे हैं. यह पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था को पूरी तरह धता बताता है. जस्टिस डॉ. एस के पाणिग्रही (Dr SK Panigrahi) ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य के पंचायती राज सचिव से ऐसे प्रॉक्सी सरपंचों के खिलाफ की गई की कार्रवाई की जानकारी मांगी.
हाईकोर्ट (High Court) ने यह भी पूछा कि महिला सरपंचों की क्षमता विकास के लिए क्या-क्या कदम उठाए गए हैं. राज्य सरकार क्या पहल कर रही है. हाईकोर्ट ने जिला स्तर पर ऐसे प्रॉक्सी सरपंच के खिलाफ शिकायत निवारण प्रणाली के बारे में भी जानकारी मांगी है.
हाईकोर्ट ने क्या-क्या कहा?
ओडिशा हाईकोर्ट (Orissa High Court) ने कहा कि प्रॉक्सी सरपंचों की इस तरह की पितृसत्तात्मक मानसिकता सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की भागीदारी पर सवालिया निशान खड़े करती है. हाईकोर्ट ने प्रॉक्सी सरपंचों अथवा ग्राम प्रधानों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आह्वान करते हुए कहा कि अगर प्रॉक्सी सरपंच के खिलाफ कदम नहीं उठाया गए तो लोकतंत्र का कोई मतलब नहीं रहेगा.
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क्या था पूरा मामला?
Bar and Bench की एक रिपोर्ट के मुताबिक ओडिशा हाईकोर्ट (Orissa High Court), मनोज कुमार (Manoj Kumar) नाम के एक ‘गांव साथी’ की याचिका पर सुनवाई कर रहा था. इस याचिका में मनोज कुमार ने आरोप लगाया है सरपंच के पति ने उसपर मनरेगा के तहत 30 लोगों का जॉब कार्ड बनाने का दबा डाला. जबकि उन लोगों को मनरेगा में काम ही नहीं किया था. ‘गांव साथी’ के मुताबिक महिला सरपंच के पति लगातार उसके काम में दखल दे रहे और ढंग से काम नहीं करने दे रहे.
हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता ‘गांव साथी’ मनोज कुमार को अंतरिम राहत देते हुए उसे बिना किसी हस्तक्षेप के काम करते रहने का आदेश दिया. साथ ही सरकार से जवाब तलब किया है. मामले में अगली सुनवाई 5 दिसंबर को होगी.
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Tags: High Court News Bench, Odisha
FIRST PUBLISHED : November 11, 2023, 15:10 IST