शिवहरि दीक्षित/हरदोई. हरदोई में एक शुगर मिल थी जिसकी चीनी की विदेशों में भी डिमांड हुआ करती थी. यह मिल ब्रिटिश काल में शुरू हुआ था. वर्षों तक यह मिल खूब अच्छे से चला और हजारों लोगों को रोजगार देता था. मगर आज इसका अस्तित्व समाप्त होने पर है और इसका ढांचा सिर्फ खंडहर ही बन कर रह गया है.
हरदोई में लक्ष्मी शुगर मिल के नाम से एक मिल की शुरुआत हुई थी जिसे देश में ब्रिटिश काल के दौरान सन 1935 में शुरू किया गया था. इस चीनी मिल की चीनी इतनी अच्छी थी कि इसकी चीनी विदेशों में भी सप्लाई होती है. लक्ष्मी शुगर मिल की चीनी के दाने साधारण चीनी से मोटे और साफ हुआ करते थे. जिसकी वजह से इस चीनी मिल को एशिया का नंबर वन की चीनी उत्पादन के लिए खिताब भी मिला था.
खंडहर में हो चुका है तब्दील
जिस चीनी मिल की चीनी भारत ही नहीं भारत के अलावा कई ऐसे देश थे जहां के लोग इस चीनी मिल की चीनी को इस्तेमाल करते थे. मगर धीरे-धीरे बेहतर मैनेजमेंट न मिल पाने के कारण इस चीनी मिल की स्थिति बंद करने के कगार पर आ गई और वर्ष 1997 से लेकर 1998 के बीच इस चीनी मिल को बंद कर दिया गया. सैकड़ों बीघे में बने इस चीनी मिल का ढांचा आज के समय मे खंडहर में तब्दील हो चुका है.
बेरोजगार हो गए हजारों मजदूर
लक्ष्मी शुगर मिल में काम करने वाले मनोज श्रीवास्तव बताते हैं कि इस चीनी मिल में एक शिफ्ट 1200 के लगभग मजदूर काम किया करते थे. बाकी ऊपर से लेकर नीचे तक के सैकड़ों अधिकारी भी थे. मगर जब यह मिल बंद हुआ तो यहां के सभी मजदूर और कर्मचारी बेरोजगार हो गए कुछ जो बाहर के निवासी थे और घर वापस नहीं लौट सकते थे. उन्होंने यहीं रहकर गुजारा करना शुरू कर दिया तो कोई अपने परिवार का भरण पोषण करने के लिए अन्य जगहों पर मजदूरी करने के लिए मजबूर हो गए.
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FIRST PUBLISHED : September 09, 2023, 00:08 IST