नई दिल्ली/भागलपुर. आज हम एक ऐसे कीड़े के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी कीमत जिंदा रहने से ज्यादा मरने के बाद होती है. इस ‘कीड़े’ को खरीदने के लिए खरीददार लाखों रुपये लेकर लाइन में लगे रहते हैं. यह कीड़ा हर जगह नजर नहीं आती है, लेकिन जहां आती है वहां के लोग मालामाल हो जाते हैं. इस कीड़े को ‘पिल्लू’ के नाम से जाना जाता है. इस प्रकार के कीड़े तितली की जाति के होते हैं, जो सिर्फ चार दिन तक ही जिंदा रहते हैं. ताज्जुब की बात यह है कि लोग इसे खरीदने के बाद मार देते हैं. मरने के बाद यह कीड़ा और बेशकीमती हो जाता है. इस कीड़े के फायदे जानकर आप हैरान हो जाएंगे. इस कीड़े से बने सामान की जरूरत आपको जन्म से लेकर मृत्यु और शादी-विवाह और पर्व-त्योहारों में भी होती है.
बात बेशक हम कीड़े की कर रहे हैं, लेकिन इस कीड़े का हमारे भागदौड़ भरी जिंदगी से भी बड़ा नाता है. इस भागदौड़ भर जिंदगी में हर कोई भीड़ से बिल्कुल अलग दिखना चाहता है. अगर चारों तरफ कंपीटिशन ही कंपीटिशन हो तो ऐसे में एक आम आदमी भीड़ के बीच अलग कैसे दिखे और अपनी अलग पहचान कैसे बनाए? क्रिकेटरों जैसा न तो हम लाइफ स्टाइल जी सकते हैं और न ही बॉलीवुड अभिनेताओं जैसे लग्जरी गाड़ियां रख सकते हैं. लेकिन, एक चीज है जो हमें आम आदमी को भीड़ के बीच भी खास बना देती है. वो है हमारी ड्रेसिंग सेंस की और यह कीड़ा हमारी ड्रेसिंग सेंस को सबसे अलग बना देता है.
इस कीड़े से बने सामान की जरूरत आपको जन्म से लेकर मृत्यु और शादी-विवाह और पर्व-त्योहारों में भी होती है.
ऐसा कीड़ा जो मरने के बाद बन जाता है ‘सोना’
जी हां बात कर हैं रेशम की कपड़ों का, जो एक कीड़े से तैयार होता है और इसे आम आदमी से लेकर खास सभी पहनते हैं. जरूरी नहीं कि हम हमेशा ही महंगे और डिजाइनर कपड़े ही पहनें. हमें वैसा कपड़ा भी पहनना चाहिए, जिसमें हम भीड़ से बिल्कुल अलग दिखें. ऐसे में हमे सोचना पड़ेगा कि आखिर ऐसा क्या है जो हमारे आसपास जो हमारी छवि सैकड़ों लोगों के बीच भी खास बना दें. ऐसे में अगर आपको सलाह दे कि कीड़े से बना हुआ कपड़ा पहनें जिसमें कि आप बिल्कुल ही अलग दिखेंगे. आप एक पल के लिए सोचिएगा ये क्या है. क्या ऐसा भी कोई कपड़ा है जो कीड़े से बनता है, इसका जवाब हां है. ऐसा कपड़ा है जो कीड़े से बनता है और जो आपके लुक को बिल्कुल अलग कर देता है. अगर आप कीड़े से बना कपड़ा वह भी रेशमी सलवार, कुर्ता या साड़ी पहनें तो आप हर तरफ आकर्षण के केंद्र में रहेंगे.
यह कीट है बेशकीमती
आज आपको हम बाताएंगे रेशम कीट की यानी की रेशम के कीड़े की. भले रेशम की शुरुआत चीन में हुई है, लेकिन भारत ने इस दौर में रेशम की दुनिया में अलग ही नाम कमाया है. भारत इकलौता देश है जहां रेशम की सभी पांच वाणिज्यिक किस्मों मलबरी, ट्रॉपिकल टसर, ओक टसर, इरी और मूंगा का उत्पादन किया जाता है. बता दें देश में सबसे ज्यादा मलबरी किस्म के रेशम का उत्पादन यही होता है, जबकि सबसे अधिक शहतूत रेशम कीट का पालन होता है.
सिर्फ चार दिन ही यह कीड़ा जिंदा रहता है
रेशम कीट एक कीड़ा है जिससे रेशम बनता है. बाम्बिक्स वंश के लारवा से सिल्क बनता है. आर्थिक तौर पर ये काफी फायदेमंद होते हैं. इनकी कीमत लाखों में होती है. चीन में रेशम कीट का उत्पनादन 5000 सालों से होता आया है. रेशम का कीड़ा एकलिंगी होता है मतलब ये कि नर और मादा अलग-अलग होते हैं. ये शहतूत के पत्तों को खाता है, इसलिए इसलिए इसे शहतूत कीड़ा भी कहा जाता है. यह कीड़ा चार दिन तक ही जिंदा रहता है, लेकिन उससे भी हैरान करने वाली बात ये है कि इन्हीं चार दिनों में ये 300 से 400 अंडे देता है. तकरीबन 10 दिनों के बाद हर अंडे से एक कीड़ा निकलता है. आठ दिनों तक ये कीड़े एक तरल प्रोटीन को निकालते हैं, जो हवा के संपर्क में आते ही सख्त बनकर धागे के रुप में आ जाता है. फिर धागा बॉल का आकार ले लेता है जिसे कोकून कहा जाता है. इस कोकून को गर्म पानी में डालकर रेशम तैयार किया जाता है. एक कोकून से 1300 मीटर तक रेशमी धागा निकलता है. भारत में तकरीबन 60 लाख से ज्यादा लोग इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैं.
यह कीड़ा सामान्य कीड़ा से बिल्कुल अलग होता है.
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रेशम का उत्पादन भले ही चीन में पहले हुआ हो, लेकिन आज भारतीय हस्तकला और हस्तकरघा का दुनिया में कोई मुकाबला नहीं है. भारतीय रेशम की साड़ियों की बात ही निराली है और अगर वो साड़ी भागलपुरी टसर सिल्क हो तो क्या ही कहने. भागलपुर सिल्क साड़ी को टसर सिल्क साड़ी के नाम से भी जाना जाता है. प्राकृतिक तरीके से इसे तैयार किया जाता है. इसे बनाने के दौरान रेशम के कीड़ों को कोई नुकसान न हो इसका भी ख्याल रखा जाता है. भागलपुरी सिल्क साड़ी की सबसे खास बात ये है कि ये वजन में बहुत ही हल्कीं होती हैं.
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FIRST PUBLISHED : October 26, 2023, 15:44 IST