एसिड अटैक ने छीनी खूबसूरती, नहीं मिली जॉब… फिर 5 सर्वाइवर ने मिलकर शुरू किया ये काम

विशाल भटनागर/मेरठ: मेरठ के एसिड अटैक सर्वाइवर्स को जब कहीं जॉब नहीं मिली तो उन्होंने अपनी जिंदगी की नई शुरुआत करते हुए सेकंड इनिंग कैफेटेरिया की शुरुआत की. ताकि, जीवन को आगे बढ़ाया जा सके. सेकंड इनिंग कैफेटेरिया की शुरुआत करने वाली एसिड सर्वाइवर्स ने बताया कि स्कूल के प्रबंधक द्वारा ही वर्ष 2018 में एसिड से हमला कराया गया था. इस दर्द के दौरान वह पूरी तरह से टूट चुकी थीं, लेकिन, पति के सपोर्ट की बदौलत उन्होंने एक नई शुरुआत की. उन्होंने बताया कि इलाज के दौरान पता चला कि मेरठ में अन्य सर्वाइवर सभी हैं जो एसिड अटैक का शिकार हुई हैं.

उन्होंने बताया कि जब चेहरा खराब हो जाता है तो कोई भी नौकरी नहीं देता है. ऐसे में उन सभी ने मिलकर विचार किया. एक नई जिंदगी की शुरुआत की जाए. तब उन्होंने मेरठ प्रशासन की सपोर्ट से इस कैफेटेरिया की शुरुआत की. वह कहती हैं कि उनके जीवन के बहुत साल इतने दर्दनाक थे कि आज भी रूह कांप जाती है. उन्हें उम्मीद है कि इस नई शुरूआत में समाज के लोग उनका सपोर्ट करेंगे.

हमारी कोई गलती नहीं फिर भी समाज करता है घृणा
एसिड सर्वाइवर बताती हैं कि उनकी जिंदगी काफी खुशहाल थी. सेंट्रल मार्केट के शास्त्री नगर में वह कैंटीन चलाती थी. कैंटीन चलाते वक्त एक व्यक्ति द्वारा उन्हें प्रपोज किया गया. लेकिन, वह शादीशुदा थी तो उन्होंने मना कर दिया. इससे नाराज होकर उस व्यक्ति ने वर्ष 2000 मई के महीने में भरी दोपहरी में उनके चेहरे पर एसिड फेंक दिया. वह बताती हैं कि कई वर्षों तक जिस तरह से जिंदगी कटी, वह काफी दर्दनाक थी. ट्रीटमेंट के दौरान आर्थिक तंगी से भी जूझना पड़ा. ऐसे में कई बार नौकरी का प्रयास किया. लेकिन, चेहरे के वजह से कहीं भी नौकरी नहीं मिली. अब इस कैफेटेरिया की शुरुआत 6 जनवरी वर्ष 2024 में की है.

खेलने की उम्र में हुआ एसिड अटैक से सामना
सेकंड इनिंग कैफेटेरिया में ही एक पुरुष सर्वाइवर भी है. वह बताते हैं कि मात्र 4 साल की उम्र में ही उन पर एसिड अटैक हो गया था. दरअसल, उनके यहां पर एक किराएदार रहता था, जिसने बदला लेने के लिए उन पर एसिड फेंक दिया था. क्योंकि, उनके पापा ने उससे कमरा खाली करवा लिया था. वह बताते हैं कि 31 साल की अब उनकी उम्र है. 100 से अधिक सर्जरी अब तक हो चुकी है. शादी के बाद घर चलाना काफी मुश्किल हो गया था. इसलिए एक नई शुरुआत  की है.

अब हर कोई करता है उनकी हिम्मत को सैल्यूट
कैफेटेरिया पर आने वाले लोग इनकी हिम्मत को सैल्यूट करते हुए दिखाई देते हैं. हर कोई कहता है कि जो कठिन परिस्थितियों में हार जाते हैं. उन सभी को इनसे सीख लेनी चाहिए. इतने दर्द को सहते हुए भी इन्होंने एक नई जिंदगी की शुरुआत की है. वह हम सभी के लिए प्रेरणादायक है. बता दें कि कैफेटेरिया में कुल पांच लोग काम करते हैं, जिसमें एक महिला चार पुरुष शामिल हैं.

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