हाइलाइट्स
हाईकोर्ट ने चूहों की रोकथाम के लिए उठाए गए कदमों का हलफनामा मांगा है
मुख्य अधीक्षक को समस्या को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाने का निर्देश
प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज में मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज द्वारा संचालित स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल में चूहों के आतंक की खबर का स्वत: संज्ञान यानी सुओ मोटो लेते हुए सुनवाई की है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वत:जनहित याचिका कायम कर सुनवाई करते हुए अस्पताल के मुख्य अधीक्षक को समस्या को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया है. हाईकोर्ट ने चूहों की रोकथाम के लिए उठाए गए कदमों का हलफनामा मांगा है.
कोर्ट ने कहा है कि अस्पताल व फैसिलिटी एण्ड प्रापर्टी मैनेजर प्राइवेट लिमिटेड एजेंसी के बीच हुए करार की प्रति, उसे किए गए भुगतान का व्यौरा व उसके द्वारा चूहों से नुकसान को बचाने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी हलफनामे में दी जाये. याचिका की अगली सुनवाई 12फरवरी को होगी. यह आदेश एक्टिंग चीफ जस्टिस एमके गुप्ता और जस्टिस क्षितिज शैलेन्द्र की डिवीजन बेंच ने एक अखबार में छपी खबर पर संज्ञान लेकर दिया है.
गौरतलब है कि प्रयागराज के स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल पर एक अखबार में “एस आर एन अस्पताल में चूहे पी रहे ग्लूकोज, खा रहे है मल्टी विटामिन” की खबर छपी. कोर्ट ने कहा खबर ये उजागर करती है कि चूहे किस हद तक अस्पताल में रखी दवाइयां और अन्य सामानों को नुकसान पहुंचा रहे है और प्रशासन लापरवाह बना हुआ है.अस्पताल के मुख्य अधीक्षक डॉ. अजय सक्सेना का बयान भी छपा है, जिसमें यह स्वीकार किया है कि सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद भी खतरा अभी भी बना हुआ है. इससे निपटने के लिए विकल्प तलाशे जा रहे है.
कोर्ट ने कहा कि यह अस्पताल आने वाले मरीजों और उन लोगों के लिए एक संभावित खतरा है जो पहले से ही वहां भर्ती हैं और उनके स्वास्थ्य को भी खतरा है. कोर्ट ने बुधवार सुबह अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल व एके गोयल से इस मामले में जानकारी मांगी और बुधवार को ही दोपहर बाद 2 बजे सुनवाई का आदेश दिया. बताया गया कि अस्पताल को एक हाउसकीपिंग ऐजेंसी को आउटसोर्स किया गया है, जो व्यवस्था देखती है और चूहों के आतंक को नियंत्रित करने का कार्य किया जा रहा है और इससे निपटने के लिए कई अन्य उपाय भी किए जा रहे है. एजेंसी ने भी अस्पताल के मुख्य अधीक्षक को आश्वस्त किया है कि ऐसे खतरे को रोकने के लिए एक विशेष अभियान भी चलाया जाएगा. बताया गया कि दवाओं का भंडारण ठीक से किया गया है. मरीजों के तीमारदारों द्वारा परिसर के अंदर खाने का सामान लाने व इधर उधर फेंकने के कारण चूहे आते है और वे नुकसान पहुंचा रहे हैं.
कोर्ट ने कहा कि मामला सार्वजनिक महत्व का है, वहां लोग इलाज कराने के लिए आते है. इसका लोगों के स्वास्थ्य पर भी असर पड़ रहा है. इसलिए नियंत्रण के ठोस उपाय किए जाएं. कोर्ट ने ऐसे खतरे को नियंत्रित करने के लिए किए जा रहे उपायों की याचिका के माध्यम से निगरानी करने का भी फैसला किया है.
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FIRST PUBLISHED : January 18, 2024, 10:22 IST