रितिका तिवारी/भोपाल. प्रदेश में पहली बार ड्रोन की मदद से दवाइयों की सप्लाई की गई. एम्स भोपाल ने 13 फरवरी को अपने ड्रोन का सफलतापूर्वक ट्रायल किया. ड्रोन ने एम्स भोपाल से उड़ान भरी और गौहरगंज में लैंडिंग की. अब इसकी मदद से दूसरे जिलों में दवा पहुंचाई जाएगी. यह ड्रोन 100 KM प्रति घंटे की रफ्तार से चलता है, जिसमें 5 किलो तक वजन उठाने की क्षमता है.
इस ड्रोन की मदद से दवा और ब्लड सैंपल आसानी से किसी दूसरे जिले में पहुंचाए और वहां से लाए जा सकेंगे. एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक डॉ. अजय सिंह ने बताया कि एम्स भोपाल के लिए यह एक ऐतिहासिक दिन था. इस ड्रोन की मदद से ट्राइबल क्षेत्रों में आसानी से दवा पहुंचाई जा सकेगी. एम्स भोपाल मध्य भारत का पहला सरकारी अस्पताल है, जहां ड्रोन के माध्यम से जीवन रक्षक दवा दूसरे जिलों में पहुंचाई जाएगी.
दूरदराज के लोगों को लाभ
इस ड्रोन के माध्यम से प्रदेश भर में जीवन रक्षक दवा आसानी से पहुंचाई जा सकेगी. यह ड्रोन ट्राइबल एरिया में एक्टिव रहेगा. रोड के मुकाबले ड्रोन की मदद से आधे से भी कम समय में दवा पहुंचा दी जाएगी. साथ ही एम्स भोपाल में दूर-दराज में के लोगों का सैंपल चेकअप के लिए आसानी से मंगाया जा सकेगा. इसको चलाने के लिए ड्रोन दीदी को रखा गया है, जो इस ड्रोन को चलाएंगी और इससे समान का आदान-प्रदान करेंगी.
ड्रोन दीदी की नियुक्ति
इस ड्रोन को चलाने और मेंटेन करने के लिए गुड़गांव से ट्रेनिंग प्राप्त कर ऋतु भर्ती को बुलाया गया है, जो ड्रोन दीदी के नाम से जानी जाएंगी. प्रधानमंत्री द्वारा चलाई योजना के तहत ऋतु ने ड्रोन चलाने की शिक्षा ली है, जिसके बाद एम्स भोपाल में वह अब ड्रोन की मेंटेंस का काम करेंगी. साथ ही, ड्रोन के माध्यम से दवा और बाकी सामग्री का आदान-प्रदान करेंगी.
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FIRST PUBLISHED : February 17, 2024, 19:04 IST