अर्पित बड़कुल/दमोह: मध्य प्रदेश का निमाड़ क्षेत्र सफेद सोने यानी कपास की फसल के उत्पादन में अव्वल माना जाता है. साथ ही गुजरात, महाराष्ट्र और एमपी के खरगोन में भी कपास की बंपर पैदावार होती है. लेकिन, इस साल गुणवत्ता के मामले में दमोह के बटियागढ़ ब्लॉक के कनोराकला गांव में होने वाली कपास ने बाजी मार ली है.
इस गांव में कपास की बंपर पैदावार ने तमाम जिलों को पछाड़ दिया है. दमोह में उगने वाले सफेद सोने की क्वालिटी सभी पैमानों पर खरी उतरी है, जिस कारण यहां की कपास की दूसरे जिलों में भारी डिमांड है. किसान ऊंचे दामों पर कपास बेच रहे हैं, जिससे उनको तगड़ा मुनाफा भी मिल रहा है.
वजन ही नहीं, रेशे में भी मजबूती
दरअसल, कपास की खेती में कम सिंचित के अलावा दवा का काफी छिड़काव किया जाता है. इस बीच जो किसान एक निश्चित मात्रा में दवा का छिड़काव करता है, उसकी फसल करीब 140 से 155 दिनों में आ जाती है. इस दौरान पौधे की लंबाई करीब 140 से 160 सेंटीमीटर और उस पर कपास की बेल का वजन करीब 5 से 10 ग्राम के लगभग होना चाहिए. तभी उस कपास का रेशा मजबूत होने के साथ अच्छी क्वालिटी का माना जाता है. ये सभी खूबियां दमोह के कपास में पाई गई हैं, जिस वजह से यहां के कपास की डिमांड बढ़ गई है.
7-8 हजार क्विंटल में बिक्री
सफेद सोने की बंपर पैदावार ले रहे आदिवासी समाज के चीलर बारेला ने बताया कि उन्होंने 10 से 12 एकड़ में कपास की खेती की है. इस फसल को करने में किसी प्रकार की कोई समस्या सामने नहीं आई. निदाई-गुड़ाई का बखूबी ध्यान रखना होता है. दमोह में उगने वाले कपास की क्वालिटी इतनी अच्छी है कि जैसे ही कपास से भरा ट्रक खरगोन मंडी में पहुंचता है, वहां 7 से 8 हजार रुपये क्विंटल के हिसाब से बोली शुरू हो जाती है. बड़वानी, गुजरात, महाराष्ट्र और खरगोन में उगने वाले कपास से भी अच्छी क्वालिटी का कपास इस बार दमोह में हुआ है.
प्रति एकड़ 10 हजार की बचत
इस फसल की बुवाई 1 एकड़ में करने पर करीब 10 से 12 क्विंटल की पैदावार होती है. वहीं, कपास मंडी में इसे बेचने पर प्रति 1 एकड़ पर 10 से 11 हजार रुपये का मुनाफा हो सकता है. आगे बताया कि हमारे गांव में सिर्फ छह किसानों ने कपास की खेती की है, जिनकी कपास की बिक्री दूसरे जिलों में काफी हो रही है.
.
Tags: Agriculture, Damoh News, Local18, Mp farmer
FIRST PUBLISHED : February 21, 2024, 17:50 IST