अर्पित बड़कुल/दमोह: जिला अस्पताल का एक प्रयोग पूरे जिले में धमाल मचाए हुए है. कबाड़ के इस उपयोग ने कई लोगों की आंखें खोल दी हैं. यदि ऐसा हर अस्पताल करने लगे तो शायद इलाज भी सस्ता हो जाए. जिले के असप्ताल में पहले बच्चों के लिए कबाड़ से प्ले ग्राउंड और झूले तैयार किए गए और अब पुराने जंग खा रहे पलंगों से आईईसी कॉर्नर बनाए गए हैं.
अस्पताल के विभिन्न वार्ड्स में सामान व्यवस्थित रखने के लिए कंडम पलंगों की सामग्री से कम खर्चे से रैक बनवाए गए हैं. इस कार्य के लिए अस्पताल को प्रदेश स्तर पर तृतीय श्रेणी में नेशनल क्वालिटी स्टैंडर्ड्स अभिप्रमाण से सम्मानित भी किया जा चुका है. जिला अस्पताल के आरएमओ डॉ. विशाल शुक्ला ने बताया कि कबाड़ से जुगाड़ कर धमाल मचाना ही हमारे भारतीय होने की पहचान है.
कम खर्च में तैयार कर लिए दर्जन भर रैक
आगे बताया कि शासकीय पैसे का सदुपयोग करते हुए 1 रैक पर महज 1970 रुपए की राशि खर्च करते हुए 25 रैक तैयार करवाए गए हैं, जबकि प्रत्येक रैक की बाजार में कीमत 12 हजार रुपये बताई जा रही है. इससे साफ सफाई व्यवस्था को बनाए रखने, दवाइयों का सुनिश्चित स्थान और वार्ड बॉय के लिए भी काफी सहूलियत हुई है. हमने मरीज के परिजनों को बैठने के लिए सिटिंग चेयर, गार्डन में घास और औषधीय पौधों की सुरक्षा के लिए फेंसिंग जाली, डस्टबिन भी तैयार किए हैं. कबाड़ का विविध उपयोग करते हुए वेस्ट री-साइकिल के सिद्धांत पर पूरी जिला अस्पताल की टीम कार्य कर रही है.
बहुत मिली राहत
जावेद कुरैशी ने बताया कि इन रैक के मिलने से बिखरे हुए सामान को व्यवस्थित तरीके से रखने की सुविधा हुई है. अस्पताल में जो भी दवाइयां, बॉटल्स आती हैं, उनको भी इन्हीं रैक में रखा जाता है, ताकि इमरजेंसी में किसी मरीज को लगाने की नोबत आती है तो दवाइयां या बॉटल्स को ढूंढना न पड़े.
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FIRST PUBLISHED : November 22, 2023, 17:57 IST