एमनेस्टी इंटरनेशनल ने नोबेल पुरस्कार सम्मानित बांग्लादेश के अर्थशास्त्री डॉ. मुहम्मद यूनुस को ढाका श्रम अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने की निंदा की है और इसे देश में मानवाधिकारों की संकटपूर्ण स्थिति का प्रतीक बताया है, जहां आलोचकों को झुकने के लिए मजबूर किया जाता है।
बांग्लादेश के 83 वर्षीय अर्थशास्त्री को सोमवार को एक अदालत ने श्रम कानूनों का उल्लंघन करने के लिए छह महीने जेल की सजा सुनाई थी, जिसे उनके समर्थकों ने सात जनवरी के आम चुनावों से पहले राजनीति से प्रेरित करार दिया था। उन्होंने फैसले के बाद जमानत का अनुरोध किया, जो उन्हें 5,000 टका मुचलके पर तुरंत एक महीने के लिए प्रदान कर दी गयी।
यूनुस और ग्रामीण टेलीकॉम में उनके तीन सहयोगियों पर श्रम कानूनों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया था जब वे कंपनी में श्रमिक कल्याण कोष बनाने में विफल रहे थे।
ग्रामीण टेलीकॉम यूनुस द्वारा स्थापित कंपनियों में से एक है।
एमनेस्टी इंटरनेशनल के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय कार्यालय ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि‘‘ यूनुस की सजा बांग्लादेश में मानवाधिकारों की संकटग्रस्त स्थिति का प्रतीक है, जहां अधिकारियों ने स्वतंत्रता को खत्म कर दिया है और आलोचकों को झुकने के लिए मजबूर किया है।’’
मानवाधिकार संगठन ने कहा कि जिस असामान्य गति से यूनुस के खिलाफ मुकदमा पूरा हुआ, वह देश में अन्य श्रम अधिकारों से संबंधित अदालती मामलों में बेहद धीमी गति से प्रगति के बिल्कुल विपरीत है।
इसमें कहा गया, श्रम कानूनों का दुरुपयोग और राजनीतिक प्रतिशोध के लिए न्याय प्रणाली का दुरुपयोग अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून का उल्लंघन है।
यूनुस को गरीबी-विरोधी उनके अभियान के लिए 2006 में नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान किया गया था।
श्रम अदालत की न्यायाधीश शेख मेरिना सुल्ताना ने फैसला सुनाते हुए कहा कि उनके खिलाफ श्रम कानून का उल्लंघन करने का आरोप सिद्ध हो चुका है।
न्यायाधीश ने फैसला सुनाया कि यूनुस को एक व्यावसायिक कंपनी के तीन अन्य अधिकारियों के साथ ग्रामीण टेलीकॉम के अध्यक्ष के रूप में कानून का उल्लंघन करने के लिए छह महीने की साधारण कारावास की सजा काटनी होगी।
अगस्त 2023 में, ग्रामीण टेलीकॉम के 18 पूर्व कर्मचारियों ने यूनुस के खिलाफ मामला दर्ज किया था, जिसमें उन पर उनकी नौकरी के फायदों को को हड़पने का आरोप लगाया गया था।
श्रम कानूनों के उल्लंघन के आरोप में यूनुस पर अगस्त 2022 में मुकदमा चलाया गया था।
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