एनजीटी ने पर्यावरण मंत्रालय पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने वायु प्रदूषण के मनोवैज्ञानिक पहलू से संबंधित एक मामले पर अस्पष्ट और अप्रासंगिक जवाब दाखिल करने के लिए मंगलवार को केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया।

एनजीटी ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को उसके पास जमा पर्यावरणीय मुआवजे को अनधिकृत उद्देश्यों के लिए खर्च करने को लेकर फटकार लगाई, और कहा कि यह घोर दुरुपयोग और गंभीर वित्तीय अनियमितता है।

इससे पहले, एनजीटी ने मंत्रालय, सीपीसीबी और तीन अन्य को नोटिस जारी कर कहा था, ऐसे वायु प्रदूषणकारी घटकों और मानव शरीर के विभिन्न अंगों पर उनके प्रतिकूल प्रभाव को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त उपायों की आवश्यकता है, विशेषकरजो मस्तिष्क और भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक पहलू को प्रभावित कर रहे हों।”

पीठ ने कहा कि बार-बार पूछने के बावजूद मंत्रालय के वकील वायु प्रदूषण के प्रभावी नियंत्रण के लिए उठाए गए एक भी कदम का उल्लेख नहीं कर सके।
पीठ ने कहा, इस तरह के अस्पष्ट और अप्रासंगिक जवाब दाखिल करने के लिए, हम प्रतिवादी नंबर 1 (मंत्रालय) पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाते हैं और उसे एक महीने में वायु प्रदूषण की प्रभावी निगरानी व नियंत्रण के लिए उठाए गए सभी कदमों का विवरण देते हुए एक पूरक जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।



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