इंदौर के एक सरकारी अस्पताल में पैर की टूटी हड्डी का इलाज कराने आए एचआईवी संक्रमित मरीज को थप्पड़ जड़ने वाले 25 वर्षीय जूनियर डॉक्टर ने कथित तौर पर मच्छर भगाने वाला द्रव निगलकर जान देने की कोशिश की। पुलिस के एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी।
संयोगितागंज पुलिस थाने के प्रभारी विजय तिवारी ने बताया कि शासकीय महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय (एमवायएच) में एचआईवी संक्रमित मरीज के संपर्क में आने के बाद से अवसाद में चल रहे जूनियर डॉक्टर ने शुक्रवार रात दो बोतलों में रखे मच्छर भगाने वाले द्रव को निगल लिया।
उन्होंने बताया,‘‘एमवायएच में भर्ती जूनियर डॉक्टर की हालत गंभीर है। फिलहाल उसका बयान दर्ज नहीं किया जा सका है।’’
चश्मदीदों ने बताया कि आपातकालीन चिकित्सा विभाग में पदस्थ जूनियर डॉक्टर के मच्छर भगाने वाला द्रव निगलने के बाद उसके नाराज साथियों ने बड़ी तादाद में एमवायएच में जुटकर प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी और प्रदर्शन किया।
प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि एचआईवी संक्रमित मरीज अपनी इस बीमारी की जानकारी छिपाकर पैर की टूटी हड्डी का इलाज करा रहा था और मामले में जूनियर डॉक्टर का पक्ष सुने बगैर ही उसे तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया था।
इंदौर के संभाग आयुक्त (राजस्व) मालसिंह भयडिया ने कहा,‘‘ कई जूनियर डॉक्टर से हमारी चर्चा हुई है।
उन्होंने हमें अपनी कुछ समस्याएं बताई हैं जिनका उचित समाधान किया जाएगा। हम एमवायएच में मरीजों को श्रेष्ठ चिकित्सा सेवाएं मुहैया कराते रहने के लिए कृतसंकल्प हैं।’’
अधिकारियों ने बताया कि पैर की टूटी हड्डी के इलाज के लिए उज्जैन के एक अस्पताल से 28 अक्टूबर को एमवायएच भेजा गया 45 वर्षीय पुरुष ‘ह्यूमन इम्यूनोडीफिशियेंसी वायरस’ (एचआईवी) से पहले से ही संक्रमित है। एचआईवी संक्रमण से होने वाली बीमारी को एड्स कहते हैं।
उन्होंने बताया कि एमवायएच में हड्डी का इलाज शुरू किए जाने से पहले जूनियर डॉक्टर को मरीज के एचआईवी संक्रमण की जानकारी कथित तौर पर नहीं दिए जाने को लेकर मरीज और उसके तीमारदार से जूनियर डॉक्टर का विवाद हुआ था।
घटना के कथित वीडियो में जूनियर डॉक्टर स्ट्रेचर पर लेटे मरीज को लगातार थप्पड़ जड़ने के साथ ही उसके साथ गाली-गलौज करता भी नजर आ रहा है।
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