नई दिल्ली/मुंबई7 घंटे पहले
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जनवरी के आखिरी कारोबारी हफ्ते में रिलायंस इंडस्ट्रीज की मार्केट वैल्यूएशन में ₹1.38 लाख करोड़ की बढ़ोतरी हुई है। अब कंपनी का मार्केट कैप ₹19.72 लाख करोड़ हो गया है। पिछले हफ्ते रिलायंस के शेयरों में 7.54% की तेजी रही थी।
रिलायंस के साथ-साथ देश की टॉप-10 कंपनियों में से 8 का कंबाइन्ड मार्केट कैपिटलाइजेशन ₹2.90 लाख करोड़ बढ़ गया है। इसमें TCS का मार्केट कैप करीब ₹58 हजार करोड़, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का ₹33,467 करोड़ और LIC का ₹26,153 करोड़ बढ़ा है।
ITC और एयरटेल की मार्केट वैल्यू ₹24,162 करोड़ गिरी
इस दौरान देश की दो बड़ी कंपनियों ITC और भारती एयरटेल की वैल्यूएशन में ₹24,162 करोड़ की गिरावट रही है। एक हफ्ते में जहां ITC की मार्केट वैल्यू ₹18,932 करोड़ करोड़ गिरी, वहीं भारती एयरटेल का मार्केट कैप ₹5,231 करोड़ गिरा है। ITC की मौजूदा वैल्यूएशन 5.49 लाख करोड़ रुपए और एयरटेल की 6.47 लाख करोड़ रुपए है।
बीते हफ्ते सेंसेक्स में 440 अंक की तेजी ही
शेयर बाजार में शुक्रवार (2 फरवरी) को तेजी देखने को मिली थी। सेंसेक्स 440 अंक की तेजी के साथ 72,085 के स्तर पर बंद हुआ। वहीं निफ्टी में भी 156 अंक की तेजी रही, ये 21,853 के स्तर पर बंद हुआ। सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 20 में तेजी और 10 गिरावट देखने को मिली। हफ्ते के आखिरी दिन पावर, मेटल और बैंकिंग शेयर्स में ज्यादा तेजी रही।
मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है?
मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर, जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, की वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की टोटल नंबर को स्टॉक की प्राइस से गुणा करके किया जाता है। मार्केट कैप का इस्तेमाल कंपनियों के शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है।
मार्केट कैप = (आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या) x (शेयरों की कीमत)
मार्केट कैप कैसे घटता-बढ़ता है?
मार्केट कैप के फॉर्मूले से साफ है कि कंपनी की जारी शेयरों की कुल संख्या को स्टॉक की कीमत से गुणा करके इसे निकाला जाता है। यानी अगर शेयर का भाव बढ़ेगा तो मार्केट कैप भी बढ़ेगा और शेयर का भाव घटेगा तो मार्केट कैप भी घटेगा।
मार्केट-कैप कैसे काम आता है?
किसी कंपनी के शेयर में मुनाफा मिलेगा या नहीं इसका अनुमान कई फैक्टर्स को देख कर लगाया जाता है। इनमें से एक फैक्टर मार्केट कैप भी होता है। निवेशक मार्केट कैप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कंपनी कितनी बड़ी है। कंपनी का मार्केट कैप जितना ज्यादा होता है, उसमे निवेश करना उतना ही सुरक्षित माना जाता है। डिमांड और सप्लाई के अनुसार स्टॉक की कीमतें बढ़ती और घटती हैं। इसलिए मार्केट कैप उस कंपनी की पब्लिक पर्सीवड वैल्यू होती है।
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जनवरी के आखिरी हफ्ते में मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज से देश की टॉप-10 कंपनियों में 7 का मार्केट-कैप ₹1.6 लाख करोड़ गिर गया है। अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा और गणतंत्र दिवस की छुट्टी के चलते केवल 3 दिन चले कारोबारी हफ्ते में HDFC बैंक सबसे बड़ा लूजर रहा है। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…