शक्ति सिंह/कोटा राज. एजुकेशन सिटी कोटा में साल 2011 से नेत्रदान, अंगदान और देहदान के लिए कार्यरत सामाजिक संस्था शाइन इंडिया फाउंडेशन ने झालावाड़ स्थित रूपनगर पब्लिक स्कूल में नेत्रदान जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया. कार्यशाला में विद्यार्थियों, मैनेजमेंट स्टाफ और बस ड्राइवरों को नेत्रदान के महत्व के बारे में जानकारी दी गई. डॉ. कुलवंत गौड़ ने प्रेरक कहानियों के माध्यम से बताया कि नेत्रदान एक पुण्य काम है जो दृष्टिहीनों को रोशनी प्रदान करता है.
डॉ. गौड़ ने आंख से संबंधित रोचक जानकारी भी दी. उन्होंने बताया कि आंख में 576 मेगापिक्सल का कैमरा होता है और यह शरीर का सबसे जटिल अंग है. उन्होंने यह भी बताया कि 15-20 साल से कम उम्र के व्यक्ति की मृत्यु होने पर एक कॉर्निया से 5 अलग-अलग लोगों को रोशनी दी जा सकती है. बच्चों को यह भी बताया गया कि नेत्रदान एक रक्तहीन प्रक्रिया है और इसमें सिर्फ कॉर्निया लिया जाता है, पूरी आंख नहीं. प्राप्त कॉर्निया को चार दिन तक सुरक्षित रखा जा सकता है.
20 लोगों ने नेत्रदान का लिया संकल्प
निदेशक दीपशिखा ने शाइन इंडिया के सदस्यों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि बच्चों को सामाजिक कार्यों की जानकारी होना आवश्यक है. उन्होंने कहा कि प्रतिवर्ष नए बच्चों के साथ नेत्रदान-अंगदान-देहदान विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा. यह कार्यशाला शाइन इंडिया फाउंडेशन द्वारा एक सराहनीय प्रयास है. इससे बच्चों में नेत्रदान के प्रति जागरूकता बढ़ेगी और वे भविष्य में इस पुण्य कार्य में अपना योगदान दे सकेंगे.
यहां हैं कुछ महत्वपूर्ण बातें
- नेत्रदान एक पुण्य कार्य है जो दृष्टिहीनों को रोशनी प्रदान करता है.
- नेत्रदान एक रक्तहीन प्रक्रिया है और इसमें सिर्फ कॉर्निया लिया जाता है, पूरी आंख नहीं.
- 15-20 साल से कम उम्र के व्यक्ति की मृत्यु होने पर एक कॉर्निया से 5 अलग-अलग लोगों को रोशनी दी जा सकती है.
- बच्चों को सामाजिक कार्यों की जानकारी होना आवश्यक है.
नोट- नेत्रदान सभी के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता है. यदि आपको कोई स्वास्थ्य समस्या है, तो नेत्रदान करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें.
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FIRST PUBLISHED : February 21, 2024, 19:27 IST