विकाश पाण्डेय/सतना. मैहर शहर के बीचों-बीच स्थित भगवान शिव का अद्भुत गोलामठ मंदिर जिसकी मान्यता हैं कि इस मंदिर का निर्माण स्वयं भगवान विश्वकर्मा ने एक रात में किया था. इस मंदिर में बेहद ही खास तरह की, बड़े पत्थरों में क्लाकृतियां उकेरी गई हैं जो अपने आप में अद्भुत और आश्चर्य में डालने वाली हैं. विशाल पत्थरों से निर्मित इस मंदिर की बनावट बेहद ही आकर्षक है. मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग विराजमान हैं, जिनके पूजन के लिए आसपास सहित दूर दराज से हजारों की संख्या में लोग आते हैं. इन्हें गोलामठ शिव मंदिर के आलावा गोलामठ सरकार के नाम से भी जाना जाता है.
मंदिर की देख भाल करने वाले पुरातत्त्व कर्मी ने बताया कि गोकामाठ सरकार 10वीं-11वीं सदी का लाल बड़े पत्थरों से निर्मित मंदिर हैं. इस मंदिर की बनावट नागर शैली की है. यह कर्चुली राजवंश के शासन काल में निर्मित हुआ था. पुरातत्त्व कर्मी ने यह भी बताया कि यहां के लोग और प्राचीन मान्यताओं के अनुसार यह भी कहा जाता है कि इस मंदिर को भगवान विश्वकर्मा ने एक रात में बनाया था.
सैलानियों के लिए आर्कषण का केंद्र
मैहर आने वाले सैलानियों के लिए गोलामठ सरकार का यह मंदिर प्रमुख आर्कषण का केंद्र होता है. यहां के इतिहास और धार्मिक मान्यताओं की मानें तो यहां घूमने फिरने और पुरातत्व संबंधी विषय वस्तु पर रुची रखने वाले लोगों के लिए यह महत्त्वपूर्ण विशेष स्थान है. यह मंदिर मां शारदा धाम से महज 2 से 3 किलोमीटर दूर है, जहां आप मैहर की तंग गलियों में 15 से 20 मिनट में पैदल घूमते हुए पहुंच सकते हैं.
श्रद्धालुओं से जानें मंदिर का महत्त्व
मैहर के स्थानीय निवाशी गुड्डा गुप्ता ने बताया कि यह मंदिर बहुत ही विशेष है. इस मंदिर का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने एक रात में किया था. यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संपूर्ण मनोकामनाएं भगवान पूर्ण करतें हैं और यह मंदिर पर्यटन के नजरिए से मैहर का महत्त्वपूर्ण और धार्मिक मान्यताओं वाला मंदिर है.
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FIRST PUBLISHED : October 26, 2023, 14:54 IST