एक मीटिंग से बदली किसान की जिंदगी, अब सालाना हो रही 10 लाख की कमाई

नीरज कुमार/बेगूसराय. आधुनिकता के इस दौर में कृषि के क्षेत्र में हो रहे प्रयोग किसानों की समृद्धि का द्वार खोलने का काम कर रहा है. बेगूसराय के कई किसान परंपरागत खेती से नाता तोड़कर नकदी फसल की ओर रुख कर चुके हैं. ऐसे ही प्रगतिशील किसानों की श्रेणी में सुनील कुमार चौधरी शामिल हो चुके हैं. इन दिनों सुनील की पहचान बेगूसराय जिला में पपीता उत्पादक किसान के रुप में हो रही है. हालांकि, इस बात का जरूर इन्हें मलाल है कि उन्हें बागवानी योजना का लाभ नहीं मिला है. लेकिन हार नहीं मानी और बिना किसी से मदद लिए खेती करना शुरू कर दिया. उनकी कमाई की बात की जाए तो तीन एकड़ खेत से 10 लाख से अधिक का मुनाफा कमा रहे हैं.

बेगूसराय जिला मुख्यालय से 57 किलोमीटर दूर बछवाड़ा प्रखंड अंतर्गत बछवाड़ा गांव के स्व. राम बहादुर सिंह के 52 वर्षीय पुत्र सुनील कुमार ने बताया कि साल 2012 में कृषि विभाग के द्वारा एक बागवानी प्रशिक्षण को लेकर मीटिंग आयोजित की गई थी. इस मीटिंग में पपीते की बागबानी और इसके फायदे के बारे में बताया गया. आगे चलकर इसी मीटिंग ने किसान सुनील की जिंदगी बदल दी. इन दिनों सुनील तीन एकड़ में पपीते की बागवानी कर रहे हैं. वहीं, इसकी खेती कर सालाना 10 लाख की आमदनी कर लेते हैं. लेकिन इस आमदनी को प्राप्त करने में सुनील को काफी संघर्ष करना पड़ा. पपीते के पौधे में बीमारी लग गई और पत्ते सूखने लगे तो परेशानी बढ़ गई. इससे नुकसान भी उठाना पड़ रहा है. सुनील ने बताया कि इस बीमारी का इलाज नहीं हो पा रहा है. इसके बावजूद तीन एकड़ में 4.50 लाख खर्च कर 10 लाख की आमदनी प्राप्त कर लेते हैं.

किसानों तक नहीं पहुंच रही बागवानी योजना
बेगूसराय जिला उद्यान कार्यालय में बागवानी मिशन पर काम कर रहे अधिकारी यशवंत कुमार ने बताया कि पपीते की बागवानी पर किसानों को 75 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है. राष्ट्रीय बागवानी मिशन और राज्य सरकार ने एक हेक्टेयर में पपीते की खेती में 45 हजार सब्सिडी दे रहे हैं. इस योजना के तहत सुनील को 1 लाख 35 हज़ार अनुदान मिलनी चाहिए, लेकिन किसान सुनील बताते हैं कि उन्हें न तो बागवानी योजना के बारे में जानकारी है और न ही योजना का लाभ देने के लिए विभाग के द्वारा भी प्रयास किया गया.

एक महीने में खराब हुआ ड्रिप इरिगेशन सिस्टम
किसान सुनील ने बताया कि कृषि विभाग ने सरकारी योजना से पपीते की बागवानी के लिए साल 2022 में ड्रिप इरिगेशन सिस्टम भी दिया, लेकिन वह एक महीने बाद ही खराब हो गया. जिससे ठीक करवाने के लिए पिछले एक साल से परेशान हैं, लेकिन कोई मदद नहीं कर पा रहा है. ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि सरकार की बागवानी योजना धरातल पर किसानों तक नहीं पहुंच पा रही है. जबकि जिला उद्यान विभाग यह दावा करता है कि प्रत्येक प्रखंड में प्रखंड उद्यान पदाधिकारी की नियुक्ति इन किसानों की मदद करने के लिए की गई है. ऐसे में अब यह देखना होगा कि इन किसानों को कैसे योजना का लाभ मिलता है और बछवाड़ा प्रखंड उद्यान पदाधिकारी पर क्या कुछ कार्रवाई हो पाती है.

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