एक मंदिर ऐसा भी! जहां भक्त स्टांप पेपर पर लगाते हैं न्याय की गुहार, पूर्व नेपाली पीएम भी लगा चुके हैं हाजिरी

तनुज पाण्डे/ नैनीताल. देवभूमि उत्तराखंड के नैनीताल जिले में अनेकों सिद्ध मंदिर हैं. शहर से करीब 18 किलोमीटर दूर भवाली के घोड़ाखाल क्षेत्र में श्री श्री 1008 गोलू देवता का एक प्राचीन मंदिर स्थित है. यह मंदिर घोड़ाखाल मंदिर के नाम से जाना जाता है. पहाड़ के लोग गोलू देवता को गोलज्यू के नाम से पुकारते हैं. गोलू देवता न्याय के देवता हैं. मंदिर में बंधी करोड़ों घंटियां इस मंदिर की शोभा बढ़ाती हैं. मान्यताओं के अनुसार, यहां आप एक चिट्ठी से न्याय की गुहार लगा सकते हैं. लोग दूरदराज से आकर यहां गोलज्यू महाराज से न्याय की गुहार लगाते हैं. और मनोकानाएं मांगते हैं. लोगों की मनोकामना पूरी होने के बाद श्रद्धालु मंदिर में घंटी और प्रसाद चढ़ाते हैं. लोगों की मनोकामनाओं के पूरा होने की गवाह यहां बंधी करोड़ों घंटियां हैं.

घोड़ाखाल गोलू देवता मंदिर के पुजारी राजेन्द्र प्रसाद जोशी ने बताया कि कुमाऊं के ईष्ट देवता गोलू देवता को स्थानीय लोग ग्वेल देवता, दूधाधारी देवता के रूप में भी जानते हैं. साल के हर महीने में अपार जन सैलाब घोड़ाखाल मंदिर में उमड़ता है. यहां मांगी गई मन्नतें जरूर पूरी होती हैं. साथ ही त्वरित न्याय भी भगवान गोलू देवता के चरणों में मिलता है.

पूर्व नेपाली पीएम भी हैं भक्तों में शामिल
मान्यता है कि गोलज्यू भगवान के दर पर मांगी गई मन्नत अवश्य पूरी होती है इस वजह से यहां लाखों की तादाद में पर्चियां और स्टांप टांगे गए हैं. लोग यहां लिखित रूप में अपनी मन्नतें भगवान से मांगते हैं और मन्नतों के पूरा होने पर यहां घंटियां चढ़ाते हैं. इस मंदिर में घंटियां चढ़ाने की अनोखी प्रथा सदियों से हैं. मंदिर परिसर में बंधी करोड़ों घंटियां गोलज्यू के दर में पूरी हुई लोगों की मनकामनाओं की गवाह हैं. इस मंदिर में कई नामी हस्तियों ने भी घंटियां चढ़ाई हैं. राजेन्द्र प्रसाद जोशी आगे बताते हैं कि घोड़ाखाल मंदिर में मैने प्यार किया फिल्म की अपार सफलता पर राजश्री प्रोडक्शन द्वारा, पूर्व नेपाली पीएम गिरिजा प्रसाद कोइराला द्वारा, इंग्लैंड के अप्रवासियों समेत कई नामी हस्तियों ने घंटियां चढ़ाई हैं.

कैसे पहुंचे घोड़ाखाल मंदिर?
घोड़खाल मंदिर में आने के लिए आपको सबसे पहले नैनीताल के पास भवाली आना होगा यहां से टैक्सी या फिर दोपहिया वाहन की मदद से आप भवाली से लगभग 4 किमी की दूरी पर स्थित घोड़ाखाल मंदिर आ सकते हैं.

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Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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