एक बार में 30 हजार लोगों के लिए बनती है स्पेशल तिब्बती चाय, ऐसे होती है तैयार

कुंदन कुमार/गया. बिहार के गया में इन दिनों बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा प्रवास पर हैं. 20 जनवरी तक दलाई लामा गया के बोधगया में रहेंगे. 29 दिसंबर से 31 दिसंबर तक दलाई लामा के द्वारा बोधगया के कालचक्र मैदान में विश्व शांति को लेकर टीचिंग दी गई. जिसमें देश-विदेश के 60 हजार से अधिक श्रद्धालु शामिल हुए. टीचिंग में शामिल बौद्ध श्रद्धालुओं को दो बार स्पेशल तिब्बती चाय पिलाई जाती है. जिसे दूध, नमक, बटर और चाय पत्ती से तैयार किया जाता है. 60 हजार लोगों के लिए चाय बनाना कोई आसान काम नहीं है. लिहाजा बनारस से तीन तांबे की बड़ी कड़ाही मंगवाई जाती है. एक कड़ाही में एक बार में 10 हजार लोगों के लिए चाय बनाई जाती है.

चाय बनाने के लिए कालचक्र मैदान के पास में किचन बनाया गया है. इस महा किचन में महा कड़ाही आई है, जिसमें एक बार में 10 हजार लोगों के लिए चाय बनती है. टीचिंग में शामिल 60 हजार से अधिक बौद्ध श्रद्धालुओं तक चाय पहुंचाने के लिए सैकड़ों भिक्षु केतली में चाय डालकर दौड़ लगाते नजर आते हैं और बड़ी श्रद्धा के साथ श्रद्धालुओं को चाय और फल दिए जाते हैं. बड़ी कड़ाही में चाय बनाने के लिए बड़ा सा चूल्हा बनाया जाता है. चाय बनाने के लिए एक दर्जन बौद्ध श्रद्धालु जुटे रहते हैं. 60 हजार से अधिक श्रद्धालुओं को चाय पिलाने के लिए 400 केतली भी मंगवाई जाती है.

10 हजार से अधिक लीटर दूध की खपत

पंडाल में दो तरह की चाय तैयार की जाती है. एक चाय तिब्बती मक्खन, नमक व अमूल दूध से तैयार होती है और दूसरी सामान्य तौर की चाय. चाय बनाने में प्रतिदिन 10 हजार से अधिक लीटर दूध की खपत है. इस संबंध में जानकारी देते हुए बौद्ध भिक्षु इशी दोरजे बताते हैं कि एक कड़ाही में 10 हजार लोगों के लिए चाय एक बार में बनाई जाती है और तीन कड़ाही बनारस से पूजा के दौरान मंगवाई जाती है. तीनों कड़ाई में एक बार में 30 हजार लोगों के लिए चाय बनती है. 

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