एक बार चाबी भरने के बाद पूरा 1 हफ्ते चलती थी घड़ी, देश-विदेश से देखने आते हैं लोग

ज्योति/ पलवलः- भारत देश में ऐसे कई मंदिर हैं, जिसकी कहानी काफी रहस्यमयी और अनोखी है. ऐसा ही एक मंदिर हरियाणा में स्थित है, जिसे बनीवाला मंदिर कहा जाता है. आज से करीब 700 साल पहले बाबा उदासनाथ तपस्या करते हुए पलवल के गांव अलावलपुर पहुंचे थे. अलावलपुर आने से पहले बाबा कुरारा गांव गए थे, वहां बाबा ने समाधि के लिए जगह मांगी थी और लोगों ने बाबा से कहा था कि हमें पूरा गांव यहीं बसाना है, आप कहीं और चले जाएं. उस समय उस गांव में 9 घर थे और बाबा ने कहा कि कुरारा गांव कभी नहीं बस सकता.

उनकी बात सच हुई और आज भी उन्हीं 9 घरों की पीढ़ियां उस गांव में रहती हैं. इसके बाद बाबा जनोली गांव गए और पीने के लिए पानी मांगा. लेकिन नशे में धुत ग्वालों (गाय चराने वाले) ने मजाक में उनसे कहा कि बाबा आगे बढ़ो, यहां का पानी खारा है. लेकिन बाबा सब जानते थे कि यहां का पानी मीठा है. बाबा गर्मी से परेशान थे और उन्होंने उनसे कहा कि अगर यहां का पानी खारा है तो खारा ही रहेगा.

अलावपुर में हुआ बाबा का चमत्कार
महंत बलराम दास ने लोकल 18 को बताया कि उसके बाद बाबा उदासनाथ अलावलपुर गांव गए, जहां अब बाबा का मंदिर है. वहां बाबा ने पानी मांगा, तो एक बूढ़े आदमी ने बाबा से कहा कि बाबा यहां जंगल में पानी नहीं है. बाबा ने कहा कि सामने वाले कुएं से पानी ले आओ. बूढ़े ने बाबा से कहा कि यह कुआं जहरीला है, इसका पानी पीना तो दूर, अगर कोई पक्षी भी इस कुएं पर बैठेगा, तो मर जाएगा. बाबा मुस्कुराये और बोले सामने गाय चर रही थी, उसका दूध निकालो. बूढ़ा व्यक्ति बहुत सहनशील था और उसने बाबा से कहा कि बाबा इस गाय ने अभी तक बच्चा भी नहीं दिया है, इसलिए यह दूध नहीं देगी.

बाबा ने कहा कि तुम एक बार कोशिश तो करो. बाबा को प्रसन्न करने के लिए बूढ़े व्यक्ति ने गाय का दूध निकालना शुरू कर दिया. गाय ने दूध दिया, तो सभी आश्चर्यचकित रह गए. ये देखकर हर कोई दंग रह गया. फिर सभी लोग मिलकर बाबा को गांव ले गए. सभी ने बाबा से वहीं रुकने का अनुरोध किया. बाबा मान गए और उन्होंने गांव के बाहर जंगल में समाधि लेने का निर्णय लिया. यहां आज बाबा का मंदिर है, लोग इसे बनीवाले का मंदिर भी कहते हैं.

मंदिर का नाम बनी वाला मंदिर
बाबा उदासनाथ ने कई सालों तक गांव में तपस्या की और वहीं पर समाधि ली, क्योंकि जिस समय बाबा उदासनाथ ने समाधि ली, उस समय यहां पर केवल घना जंगल और बनी(पेड़-पौधे) हुआ करता था. इसलिए मंदिर का नाम बनी वाला मंदिर पड़ा. मंदिर में बाबा उदासनाथ के बाद कई संतों ने तपस्या की और समाधि ली.

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दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं भक्त
अब मंदिर मे एक गौ शाला भी बनी हुई है, जिसमे लगभग दो हजार गायों की सेवा की जाती है. मंदिर मे हर रविवार को भारी भीड़ देखने को मिलती है. भक्तजन दूर-दूर से मंदिर में बाबा के दर्शन के लिए आते है और अपनी मनोकामना पूरी करते हैं. बाबा का भोग गाय के कच्चे दूध से लगाया जाता है. मंदिर मे प्रतिदिन भंडारे होते हैं और सुबह-शाम दोनों पहरों मे आरती की जाती है.

फाल्गुन में लगता है वार्षिक मेला
फाल्गुन मास के अमावस्या को मंदिर में वार्षिक मेला लगता है. मेला देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. आसपास के 112 गांव मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं. इतना ही नहीं, मंदिर में बाबा के दर्शन के लिए लोग गुजरात, गुड़गांव, दिल्ली, फरीदाबाद से दर्शन के लिए अपनी मनोकामना लेकर पहुंचते हैं.

Tags: Haryana news, Hindu Temple, Local18, Palwal news

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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