गौरव सिंह/भोजपुर. बिहार के आरा में एक युवक के संघर्ष की कहानी काफी चर्चा में है. युवक ने मेहनत की बदौलत एक नहीं बल्कि पांच सरकारी नौकरी में सफलता हासिल की है. रेलवे के ग्रुप डी से लेकर बिहार सब इंस्पेक्टर और अब सचिवालय सहायक के पद पर चयन के बाद उनकी खूब तारीफ हो रही है. यह कारनामा करने वाले अंगद राज हैं जो कि उदवंतनगर गांव के निवासी हैं. बेहद ही गरीब परिवार से आने वाले अंगद राज का अभी तक का जीवन संघर्षपूर्ण रहा है. उदवंतनगर गांव के रमाशंकर सिंह के पुत्र अंगद राज हैं. पिता किसान हैं, चाचा छोटे से व्यापारी है और दादा जी रिटायर्ड जेल सिपाही. दादा जी के पेंशन और चाचा के मामूली आय से जैसे-तैसे घर तो चल जाता था, लेकिन अंगद की पढ़ाई पूरी नहीं होती थी. जिसके वजह से अंगद 8वीं क्लास से ही टीयूशन पढ़ा कर अपनी पढ़ाई का खर्च निकालते थे.
2019 में अंगद राज को पहली सरकारी नौकरी मिली. मुंबई में रेलवे ग्रुप डी में चयन हुआ. वहां अंगद यार्ड में लगे ट्रेन में रहते थे और उसी में रहकर पढ़ाई करते और सोते फिर वही से ड्यूटी भी करते थे. ऐसे करते-करते 2 साल बीत गए. इसके बाद फिर रेलवे ग्रुप डी, इसके बाद बिहार पुलिस में सब इंस्पेक्टर के पद पर चयनित हो गए, लेकिन परिवार की इच्छा नहीं थी कि वो पुलिस की नौकरी करें. जिसके बाद बीपीएससी के प्रशाखा पदाधिकारी के रूप में उनका चयन हुआ. अब सचिवालय सहायक (असिस्टेंट सेक्शन ऑफिसर, ASO) का रिजल्ट आया है.
संघर्ष से किसी को भागना नहीं चाहिए
अंगद ने बताया संघर्ष से इंसान और छात्रों को भागना नहीं चाहिए, बल्कि उसका सामना करना चाहिए. तब ही आप समस्या का समाधान कर सकते है.आरक्षण या सिस्टम में भ्रष्टाचार का दुख भी तैयारी करने वाले छात्रों को नहीं रोना चाहिए. खुद पर विश्वास कर मेहनत करते रहना चाहिए. सफलता जरूर मिलेगी. अंगद ने बताया कि रेलवे की 8 घंटा की नौकरी करते हुए भी वो 10 घन्टा का समय पढ़ाई में देते थे. अभी भी वो अपनी नौकरी से संतुष्ट नहीं है. अंगद का सपना है कि बीपीएससी निकाल कर वो डीएसपी बन लोगों की सेवा करें.
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FIRST PUBLISHED : December 26, 2023, 14:05 IST