एक-दो नहीं.. इस शख्स ने गाय पर लिख दी 61 किताबें, बनाया विश्व रिकॉर्ड

दिलीप चौबे/कैमूर. सनातन धर्म में गाय को मां का दर्जा प्राप्त है और यह सभी के लिए पूजनीय है. आप सोच रहे होंगे कि इस बात का उल्लेख हम क्यों कर रहे हैं जबकि सभी सनातनी को यह पहले से ही मालूम है. इसकी चर्चा इसलिए कर रहे हैं कि कैमूर के रहने वाले एक प्रोफेसर को गाय से इतना लगाव है कि इस पर 61 पुस्तकें लिख डाली.

उन्होंने गौ समग्र पर 3000 पन्नों की पुस्तक और गाय पर लिखी गई 61 किताबें एक साथ पब्लिश करा कर न सिर्फ कीर्तिमान स्थापित किया बल्कि सभी का ध्यान भी अपनी ओर खींच लिया. यह शख्स कोई और नहीं बल्कि कैमूर जिला स्थित भभुआ शहर के शिक्षक रहे स्व. जवाहर तिवारी पुत्र प्रो. विवेकानंद तिवारी हैं. प्रो. विवेकानंद तिवारी हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला के हेड के रूप में अपनी सेवा दे रहे हैं.

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अब तक लिख चुके हैं 156 किताबें
प्रो. विवेकानंद तिवारी की विश्व में एक साथ पब्लिश होने वाली सर्वाधिक किताबें हैं. इसके साथ ही प्रो. विवेकानंद तिवारी अब तक 156 किताबें लिख चुके हैं, जो वर्तमान भारत में सबसे अधिक है. एक साथ सर्वाधिक पुस्तकें पब्लिश कराकर अब गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराने के लिए अप्लाई भी कर चुके हैं. प्रो. विवेकानंद तिवारी ने बताया कि उनकी पुस्तकों को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी विमोचन कर चुके हैं. साथ ही आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत भी किताबों का विमोचन कर चुके हैं. उन्होंने बताया कि सनातन धर्म में गाय के जीवन का कोई ऐसा पहलू नहीं है जिसको किताबों में समाहित ना किया गया हो. मानव जीवन में किस तरह से गाय लाभकारी है, किताबों के जरिए विस्तार पूर्वक जानकारी लोगों तक पहुंचाने की कोशिश की गई है.

सनातन संस्कृति को दिखाने का किया गया प्रयास
प्रो. विवेकानंद तिवारी ने बताया कि किताब के जरिए भारतीय संस्कृति और सनातन परंपरा को दर्शाने की कोशिश की गई है. गंगा समग्र, सनातन समागम महाकुंभ की रचना उन्हीं में से एक है. उन्होंने बताया कि गाय एक महत्वपूर्ण पशु है जो संसार में प्रायः सर्वत्र पाया जाता है. गाय से दूध प्राप्तकर लोग सेवन करते हैं. इसके बछड़े बड़े होकर खेतों की जुताई के काम आता है. भारत में वैदिक काल से ही गाय का महत्व रहा है. आरंभ में आदान-प्रदान और विनिमय आदि के माध्यम के रूप में गाय का उपयोग होता था और मनुष्य की समृद्धि की गणना उसकी गो संख्या से की जाती थी. हिन्दू धार्मिक दृष्टि से भी गाय पवित्र मानी जाती रही है और उसकी हत्या महापातक पापों में की जाती है. गाय का दूध से लेकर गोबर और मूत्र तक व्यक्ति के जीवन में उपयोगी है.

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