इसके अलावा ‘एक देश एक चुनाव’ की समिति में गुलाम नबी आजाद, एनके सिंह, सुभाष सी कश्यप, हरीश साल्वे और संजय कोठारी को सदस्य बनाया गया है.
सरकार ने “एक राष्ट्र, एक चुनाव” की संभावना तलाशने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में समिति का गठन किया है. इससे लोकसभा चुनाव तय समय से पहले कराने की संभावनाओं के द्वार खुल गए हैं. इसे हरी झंडी मिलने पर कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के साथ ही लोकसभा चुनाव कराए जा सकते हैं.
रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति यह अध्ययन करेगी कि देश में कैसे एक साथ लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव कराए जा सकते हैं, जैसे कि सन 1967 तक होता था. उम्मीद है कि वे विशेषज्ञों से बात करेंगे और विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से भी सलाह ले सकते हैं.
संसद का विशेष सत्र 18 से 22 सितंबर तक
संसद का विशेष सत्र 18 से 22 सितंबर तक आयोजित होने वाला है. सरकार ने इस सत्र का एजेंडा जारी नहीं किया है, लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि यह विशेष सत्र 17वीं लोकसभा की आखिरी बैठक हो सकती है और आम चुनाव पहले कराए जा सकते हैं.
पीएम नरेंद्र मोदी साल 2014 में सत्ता में आने के बाद से बार-बार चुनाव होने से पड़ने वाले वित्तीय बोझ और चुनाव के दौरान विकास कार्य रुकने का हवाला देते हुए, स्थानीय निकायों समेत देश में सभी चुनाव एक साथ कराने के विचार के प्रबल समर्थक रहे हैं.
बार-बार चुनाव से मानव संसाधनों पर भारी बोझ
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी पीएम मोदी का विचार दोहराया था. उन्होंने 2018 में संसद को संबोधित करते हुए कहा था, ‘बार-बार चुनाव होने से न केवल मानव संसाधनों पर भारी बोझ पड़ता है बल्कि आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण विकास प्रक्रिया भी बाधित होती है.’
मोदी सरकार का दूसरा कार्यकाल खत्म होने जा रहा है. ऐसे में सरकार का विचार है कि अब इस मुद्दे को लंबा नहीं खींचा जा सकता. सरकार की कोशिशों से आम चुनाव भी कुछ राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के साथ कराने की संभावना बन रही है.
इस साल नवंबर-दिसंबर में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव
इसी वर्ष नवंबर-दिसंबर में पांच राज्यों- मिजोरम, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने हैं और इसके बाद अगले साल मई-जून में लोकसभा चुनाव होने हैं. आंध्र प्रदेश, ओडिशा, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश विधानसभाओं के चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ होने हैं.
पूर्व में दो विधि आयोगों ने एक साथ चुनाव की जरूरत का समर्थन किया था. आयोगों ने इसे सफल बनाने के लिए आवश्यक व्यापक संवैधानिक तंत्र की ओर इशारा किया था.
निर्वाचन आयोग ने संविधान में संशोधन का प्रस्ताव करते हुए कहा था कि लोकसभा का कार्यकाल आम तौर पर एक विशेष तारीख को शुरू और समाप्त होगा (न कि उस तारीख को जब वह अपनी पहली बैठक की तारीख से पांच साल पूरे करेगी).
संसदीय स्थाई समिति ने पेश की थी रिपोर्ट
कानून और कार्मिक विभाग से संबंधित संसदीय स्थाई समिति ने दिसंबर 2015 में ‘लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की व्यवहार्यता’ पर एक रिपोर्ट पेश की थी. उसने इस मुद्दे पर निर्वाचन आयोग द्वारा दिए गए सुझावों का हवाला दिया था.
खबर है कि 18 से 22 सितंबर तक आयोजित होने वाले संसद के ‘विशेष सत्र’ के दौरान सांसदों की सामूहिक तस्वीर लेने की भी व्यवस्था की जा रही है. इससे अटकलों का एक और दौर शुरू हो गया है. ऐसी तस्वीर आम तौर पर संसद के कार्यकाल की शुरुआत में या अंत में ली जाती है.