पटना. बिहार के स्कूलों में बच्चों को मिड डे मील पर आफत है. प्रदेश भर के हजारों रसोइए सड़क पर उतरेंगी. इनकी सबसे बड़ी मांग मानदेय बढ़ोतरी की है. इसी मांग को लेकर प्रदेश भर के मिड डे मील रसोइए विधान सभा के समक्ष विरोध प्रदर्शन करेंगी. ऐसे में स्कूलों में मिड डे मील बनने की सूरत नहीं दिख रही है. दरअसल, प्रदर्शन को देखते हुए भी स्कूलों में वैकल्पिक इंतजाम नहीं किए जाने की खबरें हैं ऐसे में आज मिड डे मील पर पाबंदी रह सकती है.
जानकारी के अनुसार, रसोइयों को 21 हजार रूपये मानदेय देने, राज्यकर्मी का दर्जा देने, केंद्रीकृत किचेन को रद्द करने जैसी मांगों को लेकर विधानसभा पर प्रदर्शन में भाग लेने को बिहार राज्य विद्यालय रसोइया संघ की ओर से राज्य के अलग अलग जिलों से हजारों रसोईया का जत्था आज पटना पहुंचेगा. ये रसोइए पटना के गर्दनीबाग में प्रदर्शन करेंगे और विधानसभा तक अपनी आवाज पहुंचाएंगे.
12 महीने काम 10 महीने का ही भुगतान
मिड डे मील रसोइयों का आरोप है कि सबसे कम मानदेय पर रसोइयों से काम कराया जाता है. खाना, बनाने, खिलाने, बर्तन धोने के अलावे भी की काम रसोइयों से कराया जाता है. जबकि सरकार मात्र 1650 रुपये मानदेय रसोइयों को देतीहै. 12 महीने काम कराया जाता है, जबकि सरकार 10 महीने का मानदेय देती है. इतना ही नहीं बात-बात पर शिक्षक रसोईयों को हटा देने की धमकी दी जाती है.
55 रुपये प्रतिदिन की मजदूरी
बता दें कि बिहार के स्कूलों में महिलाएं रसोइया का काम करती हैं और इन्हें मानदेय के रूप में मात्र 1650 रुपये महीने का भुगतान किया जाता है. इन रसोइयों को 55 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से मात्र 1650 रुपये महीने का भुगतान किया जाता है. खास बात यह कि गर्मी की छुट्टी में एक महीने स्कूलों में अवकाश रहता है तो रसोइयों को मानदेय का भुगतान नहीं होता है.
बिहार के स्कूलों में ढाई लाख रसोइए
गौरतलब है कि बिहार के स्कूलों में 2.48 लाख रसोइए हैं और इनमें हर एक को महज 55 रुपये रोज की मजदूरी मिलती है. जानकारों की नजर में यह श्रम कानूनों का उल्लंघन है, क्योंकि कुशल, अर्धकुशल और अकुशल मजदूरों की मजदूरी की तय सीमा से भी ये काफी कम हैं. ऐसे में ये अब अपनी मांगों को लेकर सड़क पर उतर चुके हैं और विधान सभा घेरने की तैयारी में हैं.
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FIRST PUBLISHED : February 22, 2024, 09:03 IST