एक दांव से खुद का ‘कद’ ऊंचा कर गए नीतीश, इंडिया अलायंस और कांग्रेस के लिए कहां फंसा पेंच?

हाइलाइट्स

जातिगत गणना सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक कर सियासी तौर पर नीतीश ने खेला बड़ा दांव.
इंडिया गठबंधन के भीतर प्रधानमंत्री पद के दावेदार के रूप में फिर से होने लगी चर्चा.
राहुल गांधी के ओबीसी कार्ड के लिए चेहरा बनाए जा सकते हैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार.

पटना. राजनीति के ‘चाणक्य’, सियासत के ‘बाजीगर’ और सियासी दांवपेंच में माहिर ‘खिलाड़ी’… ये तमाम ऐसे उपनाम हैं जो बिहार के ‘सुशासन बाबू’ के नाम से मशहूर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए कहे जाते हैं. अपने इन उपनामों को चरितार्थ करते हुए नीतीश कुमार ने एक बार फिर बड़ा दांव खेला और देश की राजनीति में पहले मुख्यमंत्री बन गए जिन्होंने जातिगत गणना का आंकड़ा जारी करने की हिम्मत की. इसके साथ ही लोकसभा चुनाव 2024 के लिए मुकाबिल के तौर पर सामने खड़ी केंद्र सरकार से बढ़त बना ली है. जातिगत समीकरण के आधार पर अपनी राजनीति को आगे बढ़ा रहे सीएम नीतीश कुमार ने इस क्रम में न केवल विरोधियों को साधा है, बल्कि अपनों पर भी सियासी तीर छोड़ दिए हैं, जिससे सबसे अधिक जख्मी कांग्रेस के नेता और इंडिया अलायंस के प्रधानमंत्री पद के संभावित दावेदार राहुल गांधी हुए लगते हैं.

दरअसल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सियासत का जो दांव खेला है, उसके तह उन्होंने एक बड़ी लकीर तो खींचती ही है, साथ ही देश की राजनीति में जातीय विमर्श को लेकर एक नया कोण दिया है. नीतीश कुमार ने जातीय समीकरणों की सियासत का जो दांव चला है उसके लिए फिलहाल राहुल गांधी सबसे अधिक ‘वाचाल’ दिखते हैं, लेकिन शायद उन्हें पता भी नहीं है कि वह किस राजनीतिक चक्रव्यूह में फंस रहे हैं. शायद उनको इस बात का ध्यान नहीं है या फिर उनके संपर्क सूत्रों ने उन्हें इस सियासी दांव से अवगत नहीं कराया है.

जातिगत सर्वेक्षण ने देश को दिखाई दिशा
नीतीश कुमार ने सियासत की वह लकीर खींच दी है जो देश के नेतृत्वकर्ता को लेकर एक दिशा दिखाती है. नीतीश सरकार द्वारा कराए गए जातीय जनगणना की सर्वे रिपोर्ट में सबसे बड़ा समुदाय ओबीसी और ईबीसी मिलाकर बनता है, जिसका प्रतिनिधित्व या तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करते दिख रहे हैं, या फिर उस समाज से आने के कारण बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार करते दिख रहे हैं. इस रिपोर्ट के अनुसार, ओबीसी और ईबीसी मिलाकर बिहार में 63 प्रतिशत आबादी की हिस्सेदारी का दावा करती है. वहीं, दलित समुदाय को इसमें समाहित करने के साथ ही यह आंकड़ा लगभग 84 प्रतिशत तक पहुंच जाता है.

राहुल गांधी के सामने अलग लकीर खींच गए नीतीश
जाहिर है ये आंकड़े खुद को जनेऊधारी ब्राह्मण कहकर प्रचारित करनेवाले राहुल गांधी की राह का रोड़ा बनते दिख रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर नीतीश कुमार के लिए देश के पीएम पद की दावेदारी के लिए नया रास्ता खोलता दिख रहा है. जातीय जनगणना की रिपोर्ट सार्वजनिक कर सीएम नीतीश ने खुद के लिए पीएम फेस की वकालत की है और सीधे तौर पर अपने लिए केंद्र की सियासी लड़ाई में अपने लिए एक स्पेस बनाने की रणनीति पर आगे बढ़ते दिख रहे हैं.

राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा से दिखाया था कमाल
बता दें कि इसकी शुरुआत तो काफी पहले से हो चुकी थी जब नीतीश कुमार विपक्षी दलों को एकजुट करने के अभियान पर लगे थे. हालांकि, बीते एक साल के भीतर कई ऐसे बड़े बदलाव हुए जिसमें राहुल गांधी, नीतीश कुमार पर बढ़त बनाते दिखे. उनकी भारत जोड़ो यात्रा ने काफी कमाल किया और सियासी तौर पर राहुल गांधी बड़े कद के होते गए. तमाम सर्वे रिपोर्ट्स में भी यही बात निकलकर आई कि राहुल गांधी ही पीएम मोदी के सामने खड़े हो पाने की स्थिति में हैं. इस क्रम में राहुल गांधी के बढ़ते सियासी कद के बीच ही विपक्षी एकता की कवायद परवान चढ़ी और 23 जून को पटना में 15 विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने में कामयाब हुए सीएम नीतीश फिर बड़े कद वाले साबित हुए.

एक दांव से खुद का 'कद' ऊंचा कर गए नीतीश, इंडिया अलायंस और कांग्रेस के लिए कहां फंसा पेंच?

ट्रैप में फंसी कांग्रेस या खुद से बन गई सियासी शिकार 
हालांकि, बाद के दौर में कांग्रेस ने शायद इस सियासत को समझ लिया और 17-18 जुलाई को कांग्रेस शासित राज्य कर्नाटक में विपक्षी दलों की मीटिंग हुई. यहां पर इंडिया अलायंस के तहत भाजपा विरोधी पार्टियों को एकजुट करने की नीति आगे बढ़ी. इतना ही नहीं यहां सीएम नीतीश के बारे में ‘अविश्वसनीय’ वाला पोस्टर लगाकर उनके कद को कम करने की कोशिश हुई. नीतीश कुमार की नाराजगी की खबरें भी सामने आईं. इसके बाद 31 अगस्त और 1 सितंबर को फिर मुंबई में 28 पार्टियों का महाजुटान हुआ, लेकिन यहां भी नीतीश कुमार नाराज बताए गए.

अपने दांव से बढ़े नीतीश तो राहुल अपने दांव में घिरे
इसके बाद ऐसा लगने लगा कि राहुल गांधी एक तरह से इंडिया अलायंस का पीएम फेस हो सकते हैं. इसकी घोषणा शायद न भी हो, लेकिन भीतर ही भीतर इसकी सहमति बनाने की कवायद भी शुरू होती दिखी. राहुल गांधी कई बार इस क्रम में केंद्र सरकार के सीधे सामने खड़े दिखे. लेकिन, एक बार फिर सियासी बाजी पलटती दिख रही है और नीतीश कुमार का राजनीतिक कद ऊंचा होता दिख रहा है. यह तब और ऊंचा दिख रहा है जब राहुल गांधी ही केंद्र की सरकार में ओबीसी सेक्रेटरी का मुद्दा उठा रहे हैं. ऐसे में सियासत के जानकार मानते हैं कि राहुल गांधी शायद स्वत: नीतीश कुमार की राह आसान कर रहे हैं.

पीएम मोदी के मुकाबिल खड़े दिख रहे नीतीश कुमार!
हाल के दिनों में बिहार की राजनीति ने भी इस बात के संकेत दिए हैं कि नीतीश कुमार इंडिया अलायंस की ओर से पीएम पद के फेस हो सकते हैं. दरअसल, हाल में ही लालू यादव का नीतीश कुमार के आवास जाकर मिलना और राजद के कई नेताओं का सार्वजनिक रूप से यह कबूलनामा कि नीतीश कुमार पीएम पद के दावेदार हों तो अच्छा होगा, पर सियासत आगे बढ़ती दिख रही है. इस पूरे गेमप्लान के अंदरखाने की खबर जब आएगी तब आएगी, लेकिन फिलहाल तो यही दिख रहा है कि नीतीश कुमार इंडिया अलायंस में सियासी तौर पर राहुल गांधी के मुकाबिल खड़े हैं और उनका कद भी थोड़ा ऊंचा ही दिखता है.

Tags: 2024 Loksabha Election, 2024 लोकसभा चुनाव, Bihar politics, Caste Based Census, Caste Census, CM Nitish Kumar, Lalu Yadav News, Loksabha Election 2024, Rahul gandhi, Rahul gandhi latest news

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *