
मध्य प्रदेश के होने वाले मुख्यमंत्री मोहन यादव।
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भाजपा ने मोहन यादव को मध्य प्रदेश की कमान सौंपकर एमपी ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और हरियाणा के यादव वोट बैंक को साधने की कोशिश की है। यूपी में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी और बिहार में लालू प्रसाद यादव के राष्ट्रीय जनता दल का यादव वोट बैंक पर कब्जा माना जाता है। वहीं, हरियाणा में यादव वोट बैंक कांग्रेस, इंडियन नेशनल लोक दल और भाजपा के बीच बंटता है। राजस्थान में भी यादव वोटर भाजपा और कांग्रेस के बीच बंटता है।
यूपी में 10 से 12 प्रतिशत यादव वोटर हैं। सियासी रुप से अन्य पिछड़ी जातियों में यादव सबसे सशक्त माने जाते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रदेश की करीब दो दर्जन लोकसभा सीटों पर यादव मतदाताओं का वर्चस्व है।
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यादव मतदाताओं को संदेश
भाजपा ने मोहन यादव जैसे कॉडर के आदमी को नेतृत्व सौंपकर यादव वोटरों को यह संदेश देने का प्रयास किया है कि सपा, राजद से यादव चाहे जितना जुड़े हों इन पार्टियों में नेतृत्व स्व मुलायम सिंह और लालू यादव के परिवार को ही मिलेगा। जबकि भाजपा में उनके लिए नेतृत्व का भरपूर मौका मिल सकता है।
भाजपा में यादवों को मिल रहा ज्यादा प्रतिनिधित्व
राजस्थान से राज्यसभा सदस्य भूपेंद्र यादव केंद्र सरकार में वन एवं पर्यावरण मंत्री हैं। उत्तर प्रदेश में गिरीश यादव प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार हैं। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के इस्तीफे से खाली हुई आजमगढ़ लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा ने भोजपुरी गायक दिनेश लाल निरहुआ को प्रत्याशी बनाया था निरहुआ ने उप चुनाव में अखिलेश के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को शिकस्त दी थी। संगीता यादव और हरनाथ यादव राज्यसभा सदस्य हैं। भाजपा के प्रदेश महामंत्री सुभाष यदुवंश और आशीष यादव उर्फ आशु विधान परिषद सदस्य हैं।
सपा के लिए चुनौती बढ़ेगी
राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्र भट्ट का मानना है कि मोहन यादव को एमपी का मुख्यमंत्री बनाने से यूपी में सपा के लिए चुनौती बढ़ेगी। भाजपा जिस तरह से बीते पांच सात वर्षों से यादव मतदाताओं में आधार बढ़ाने के लिए काम कर रही है। यादव नेताओं को संगठन और सरकार में प्रतिनिधित्व दिया जा रहा है, उससे कहीं ना कहीं यादव वोट बैंक भाजपा की ओर आकर्षित होगा।