एक घटना ने बदल दी इस युवक की सोच, ताइक्वांडो में हासिल की ब्लैक बेल्ट…

आलोक कुमार/गोपालगंज. हमारे जीवन में कुछ ऐसी घटनाएं घटत जाती है जो हमें बदल कर रख देती हैं. ऐसी ही घटना गोपालगंज के एक युवक के साथ घटी. इस घटना ने युवक को इतना बदल दिया कि वह आज दक्षिण कोरिया से ताइक्वांडो में ब्लैक बेल्ट प्राप्त कर युवतियों को मुफ्त आत्मरक्षा का गुर सीखाने लगा. दरअसल, सदर के पसरमा गांव निवासी अनिल शर्मा के पुत्र विनीत शर्मा 2014 में ट्यूशन पढ़ कर घर लौट रहे थे. इसी बीच आंखों के सामने कुछ लफंगे एक लड़की को छेड़ रहे थे. लेकिन विनीत कुछ कर पाने में असमर्थ हो गए. लेकिन, इस घटना ने विनीत को बेचैन कर दिया. विनीत ने अचानक मन में ठान लिया कि ताइक्वांडो की ट्रेनिंग लेकर लड़कियों को भी आत्मरक्षा के गुर सिखाएंगे. पिता ने इसके लिए अनुमति नहीं दी कि सीखकर मारपीट करेगा, लेकिन विनीत की सोच कुछ और थी.

विनीत ने बताया कि जब पापा ने पैसे देने से मना कर दिया तो ट्यूशन पढ़ाकर ताइक्वांडो सीखने लगा. गुरु कमल कुमार के सानिध्य में रहकर ताइक्वांडो का प्रशिक्षण लेकर दक्षिण कोरिया से ब्लैक बेल्ट की उपाधि प्राप्त की, लेकिन जो प्रतिज्ञा ली थी उसे वह भुला नहीं था. अपने मित्रों के सहयोग से गांव-गांव जाकर लड़कियों के माता-पिता से बात करते और उन्हें ताइक्वांडो सीखने के लिए प्रेरित करते रहे. प्रयास के बाद एक लड़की का परिवार तैयार हुआ तो रोजाना 30 किलोमीटर साइकिल चलाकर बरौली गांव में उसे सीखाने के लिए जाने लगे. धीरे-धीरे कारवां बढ़ता गया और लड़कियां प्रशिक्षण के लिए आने लगी.

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इंजीनियरिंग में नहीं लिया एडमिशन
विनीत ने बताया कि इस कार्य को देख पिता काफी परेशान रहने लगे. पिता का सपना था कि बेटा इंजीनियर बने. इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा में सफल हुए, लेकिन एडमिशन नहीं लिया. सोचा था कि इंजीनियर बनकर समाज के लिए कुछ नहीं कर पाएंगे और प्रतिज्ञा भी पूरी नहीं होगी. पिता के विरोध के बावजूद लड़कियों को मुफ्त ताइक्वांडो का प्रशिक्षण देने लगे. जिसे देख गायत्री परिवार के लोगों मंदिर परिसर में जगह दी. फिलहाल 60 युवा प्रशिक्षण ले रहे हैं जिसमें 30 लड़कियां शामिल है. विनीत ने बताया कि दिन-प्रतिदिन लड़कियों के साथ बढ़ रहे छेड़छाड़ और उत्पीड़न की घटनाओं से खुद को सुरक्षित रखने और मुंह तोड़ जवाब देने के लिए लड़कियों का लड़ना अब जरूरी हो गया है. आत्मरक्षा के लिए लड़की को खुद तैयार होना पड़ेगा.

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