एक उम्र के बाद… TMC में क्यों छिड़ गई बुजुर्ग नेताओं और नई पीढ़ी की जंग

कोलकाता. तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने सोमवार को कहा कि उनका पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से कोई मतभेद नहीं है, लेकिन उन्होंने एक उम्र के बाद कार्य कुशलता और क्षमता में गिरावट का हवाला देकर राजनीति में अधिकतम उम्र तय करने की वकालत की.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं टीएमसी की प्रमुख ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी ने एकता की अहमियत पर ज़ोर देते हुए कहा, “हमें बुजुर्ग और नए लोगों के साथ आगे बढ़ना है. हमें वरिष्ठों से यह प्ररेणा लेनी है और सीखना है कि कैसे संघर्ष किया जाए और जनता के लिए कैसे काम किए जाएं. साथ ही, हमें एक उम्र के बाद कार्य कुशलता और क्षमता पर भी विचार करने की ज़रूरत है.”

अभिषेक ने कहा कि अन्य पेशों की तरह ही राजनीति में भी सेवानिवृत्ति की एक उम्र होनी चाहिए. उन्होंने कहा, “मेरा मानना है कि राजनीति सहित हर क्षेत्र में अधिकतम आयु सीमा होनी चाहिए.” उनकी यह टिप्पणी ममता बनर्जी के वफादार माने जाने वाले वरिष्ठ नेताओं और अभिषेक की करीबी युवा पीढ़ी के मध्य बहस के बीच आई है.

जब अभिषेक बनर्जी से पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ मतभेद के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, ‘मेरे किसी के साथ कोई मतभेद नहीं है. मैंने नेताजी इंडोर स्टेडियम में सिर्फ एक कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लिया है. कुछ लोगों ने अपनी राय दी है. यह ठीक है. मुझे इस पर कुछ नहीं कहना है.’

नेताजी इनडोर स्टेडियम में हुए कार्यक्रम में मुख्य मंच पर उनकी तस्वीर नहीं होने से राजनीतिक बहस शुरू हो गई थी. अभिषेक बनर्जी ने इसे बेबुनियाद बताते हुए कहा, “अध्यक्ष की तस्वीर थी जो काफी था. मुख्य मंच पर मेरी तस्वीर होना जरूरी नहीं है.”

बुजुर्ग नेताओं बनाम नई पीढ़ी का विवाद तब सामने आया जब ममता बनर्जी ने वरिष्ठ सदस्यों को उचित सम्मान देने की वकालत की और इस दावे को खारिज कर दिया कि बुजुर्ग नेताओं को सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लेना चाहिए.

Tags: Mamata banerjee, TMC

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