एक आइडिया ने बदली किसान की किस्मत, शुरू की 10 कट्ठे में केले की खेती

गुलशन कश्यप/ जमुई. बिहार का जमुई जिला ऐसे तो पारंपरिक खेती के लिए प्रसिद्ध है तथा यहां धान एवं गेहूं की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. ज्यादातर किसान पारंपरिक खेती को ही अपना कर जीवन-यापन चला रहे हैं. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में पारंपरिक खेती से हटकर भी किसानों ने खेती-बाड़ी शुरू की है. कई किसानों ने नगदी फसल की खेती की है तो कई किसान इंटीग्रेटेड फार्मिंग कर रहे हैं.

कुछ किसान सब्जी की खेती से भी कमाई कर रहे हैं. लेकिन जिले का एक किसान ऐसा भी है जिसने पहली बार एक ऐसी फसल की खेती की है जो आमतौर पर जमुई में नहीं उपजाया जाता है. लोग बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल तो करते हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें अन्य जिलों से इसकी खरीदारी करनी पड़ती है और उस पर निर्भर रहना पड़ता है. दरअसल, जमुई के इस किसान ने केले की खेती की है जो अब खेतों में लहलहाने लगा है तथा उसकी खेत में बड़े पैमाने पर केले का घवद दिखने लगा है.

रिश्तेदार के घर जाने पर मिला था आईडिया
जमुई जिला के रहने वाले किसान जंग बहादुर सिंह ने करीब 10 कट्ठे में केला की खेती है. किसान ने अपने खेत में 300 से अधिक केला का पौधा तैयार कर लिया है. जिसमें अब फल आने भी लगा है. जंग बहादुर सिंह ने बताया कि बिहार में भागलपुर, बांका सहित कई ऐसे जिले हैं, जहां केला उपजाया जाता है. पिछले साल एक रिश्तेदार के घर गया था, वहीं से इसकी खेती करने का आईडिया मिला.

उनसे बातचीत की फिर मोबाइल फोन पर केला की खेती करने का तरीका समझ अपने खेत में फसल लगाया. उन्होंने बताया कि पिछले 10 महीने में केले की फसल तैयार हुई है और उनके खेत में लहलहाने लगी है. कई पौधों में से अब फल निकलने लगा है. किसान ने सिंगापूरी केले की खेती की है जो बाजार में 40 से 60 रुपए दर्जन तक बिकता है तथा पर्व में इसका खास उपयोग किया जाता है. उन्हें उम्मीद है कि अगले दो महीने में फसल पक कर तैयार हो जाएगा. दो महीने के बाद छठ पूजा के दौरान केला बाजार में बिकने भी लगेगा.

पारंपरिक खेती को छोड़कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं किसान
जंग बहादुर सिंह कहते हैं कि पारंपरिक खेती में फायदा नहीं है. किसान बहुत अत्यधिक मेहनत करता है, लेकिन उसके वनिस्पत मुनाफा नहीं मिल पाता है. ऐसे में अलग-अलग फसलों की खेती करनी चाहिए ताकि किसानों फायदा मिल सके. इससे खेती को एक नई दिशा में भी ले जा सकते हैं. उन्होंने बताया कि यहां देखा-देखी कर कोई किसान इसकी खेती कर लेता है तो यह उद्देश्य सफल हो जाएगा तथा लोग अलग-अलग फसल की खेती करने लगेंगे एवं जिला भी कृषि के क्षेत्र में समृद्ध हो जाएगा.

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