हाइलाइट्स
अमेरिका के हाउस ऑफ कॉमन्स में सिख धर्म की प्रार्थना पढ़ी गई थी.
हाल के समय खालिस्तानियों का मुद्दा के कारण सिख धर्म सुर्खियों में चल रहा है.
प्रार्थना के जरिए अमेरिकी सिख समुदाय के लोगों ने अपने धर्म के बारे में स्पष्ट संदेश दिया है.
पिछले कुछ दिनों से सिख धर्म अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सुर्खियों में है. इसकी शुरुआत कनाडा में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या से हुई थी जिसके बाद कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने आरोप भारत पर आरोप लगाया कि कानाडाई नागिरक निर्जर की हत्या में भारत का हाथ है. इसके बाद से भारत-कनाडा के संबंध बिगड़ते चले गए और दुनिया में खालिस्तानी आतंकवाद और सिख समुदाय एक बार फिर सुर्खियों में आ गया.इन सभी घटनाक्रम के चलते शुक्रवार को अमेरिकी इतिहास में पहली बार वहां की संसद के निचले सदन की शुरुआत सिख प्रार्थना से हुई. हाल के घटनाक्रम में इस प्रार्थना का पढ़ा जाना बहुत मायने रखता है.
कनाडा में सिख समुदाय और खालिस्तानी
अमेरिका और कनाडा में सिख समुदाय के लोगों की काफी तादाद है और कनाडा में तो सिख समुदाय वहां के चुनावों तक को प्रभावित करता है. भारत जहां खालिस्तानी आतंकियों को देश के खिलाफ सक्रिय होकर कार्य करने का आरोप लगाता है. दुनिया भर में फैले सिख समुदाय के कुछ लोग खुल कर खालिस्तान का समर्थन करते हैं. इनमें से काफी लोग कनाडा की नागरिकता हासिल कर चुके हैं और वहां रह कर भारत विरोधी गतिविधियों में संलग्न रहते हैं.
सिख धर्म की वैश्विक छवि?
कनाडाई प्रधानमंत्री ट्रूडो वोट की राजनीति के चलते इन्हीं कनाडाई खालिस्तानियों को खुश रखना चाहते हैं. वहीं वे इस मामले में पश्चिमी देशों का समर्थन भी चाहते हैं. भारत कनाडा के संबंध विवादित हुए थे कि इसी बीच अमेरिकी नागरिक बन चुके एक अन्य खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने भी एक वीडियो जारी कर हिंदुओं को कनाडा छोड़ने की धमकी दे दी. ऐसे अमेरिका सहित पूरे विश्व में सिख धर्म कीछवि को नुकसान पहुंचा था.
प्रार्थना पढ़ना बड़ी घटना
अमेरिका के सिखों का वहां की संसद में प्रार्थना पढ़ा जाना इस पृष्ठभूमि में कई संदेश देने का काम करता है. एनआई के रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका के सिख कोऑर्डिनेशन कमेटी ईस्ट कोस्ट के मीडिया प्रवक्ता हरजिंदर सिंह ने इस घटना के बारे में बताते हुआ कहा कि अमेरिका कांग्रेस इतिहास में पहली बार संसद सत्र की शुरुआत सिख प्रार्थना से हुई जिसमें ज्ञानी जसविंदर सिंह ने प्रार्थना की और यह सिख समुदाय के लिए बहुत ही खुशी का अवसर है.

सिख धर्म की प्रार्थना के जरिए वैश्विक सद्भाव का संदेश दिया गया था.
क्या बताया गया मकसद
हरजिंदर सिंह ने इस प्रार्थना को किए जाने का मकसद भी बताया है जिससे पता चलता है कि हाल की घटनाओं के मद्देनजर इसकी क्या अहमियत है सिंह ने बताया की “….हमने इस कांग्रेस के उन सदस्यों के लिए प्रार्थना की जो यहां सभी अमेरिका और मुक्त संसार की रक्षा के लिए काम कर रहे हैं. हम पूरी मानवता के लिए एक ही नस्ल के तौर पर कामना और प्रार्थना करते हैं.”
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सिख धर्म की संदेश
इसी के बारे में और बात करते हुए हरजिंदर सिंह ने कहा कि उनका मकसद यही संदेश देना था जो कि सिख धर्म का सार्वभौमिक संदेश भी है. वहीं भारतीय अमेरिकी सांसद श्री थानेदार ने शुक्रवार को ने कांग्रीस कॉकस बनने पर उसे लॉन्च किया जिसका मकसद अमेरिका में रह रहे हिंदू, बौद्ध, सिख और जैन समुदाय के हितों की रक्षा के लिए बना है. कॉकस का मकसद सांस्कृतिक गलतफयमियों को दूर करना और अंतरपंथी वार्तालाप और तालमेल को प्रोत्साहित करना है.

इस तरह की घटनाएं अमेरिका में भारत और सिख धर्म की सकारात्मक छवि का निर्माण करती हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
बहुत अहमियत है इन घटनाओं की
यह कॉकस अमेरिका में हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख समुदायों के शिक्षा, सशक्तिकरण आदि के लिए काम करेगा. इसे रिपब्लकन और डेमोक्रैट दोनों का समर्थन हैं और 72 से ज्यादा सांसदों का इसको समर्थन प्राप्त है. ये दोनों घटनाएं हाल ही में निज्जर की हत्या के बाद के घटनाक्रम के लिहाज से बहुत अधिक महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इससे सिख समुदाय की खालिस्तानियों से अलग छवि स्पष्ट करने में मदद मिलेगी.
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अमेरिकी संसद में प्रार्थना पढ़ा जाना ना केवल सिख धर्म की छवि का सही नजरिया दुनिया के सामने पेश करता है, बल्कि बताता है कि खालिस्तानी और सिख एक ही बात नहीं है. सिख समुदाय के लोग दुनिया में किसी भी देश की नागरिकता ले लें. वे सांस्कृतिक तौर पर भारतीय संस्कृति का ही प्रतिनिधित्व करते हैं. खालिस्तानी विचारधारा इसके खिलाफ अलगाववाद की रास्ता अपनाए हुए है.
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FIRST PUBLISHED : October 1, 2023, 09:55 IST