27 मिनट पहले
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मलेशियाई विमान MH370 में 12 क्रू मेंबर सहित 14 देशों के 239 लोग सवार थे। (रिप्रेजेंटेशनल इमेज)
मलेशियाई एयरलाइंस का लापता विमान MH370 आज भी रहस्य बना हुआ है। यह मार्च 2014 में कुआलालंपुर से बीजिंग के लिए रवाना होने के बाद गायब हो गया था। अब इसकी गुत्थी सुलझती नजर आ रही है। एक्सपर्ट का कहना है कि प्लेन के कैप्टन ने विमान को क्रैश करने की योजना बनाई थी।
एक्सपर्ट और ब्रिटिश बोइंग 777 के पायलट साइमन हार्डी ने कहा- फ्लाइट MH370 समुद्र की गहराइयों (समुद्र में बनी खाई) में है। कैप्टन जहारी अहमद शाह ने इसे क्रैश करने की प्लानिंग की थी। फ्लाइट के प्री-डिपार्चर डॉक्यूमेंट्स से इसका खुलासा हुआ है।

तस्वीर पायलट जहारी अहमद शाह की है। पहले भी एक थ्योरी में माना गया था कि पायलट तनाव में होगा और इसी वजह से उसने विमान को समुद्र में गिरा दिया।
टेक-ऑफ से फौरन पहले विमान में बदलाव किए गए
ब्रिटिश मीडिया ‘द इंडिपेंडेंट’ की रिपोर्ट के मुताबिक, एक्सपर्ट हार्डी ने कहा- एडिशनल फ्यूल, ऑक्सीजन समेत कार्गो मेनिफेस्ट (प्लेन से जुड़े डॉक्यूमेंट्स जिसमें विमान में सवार सभी यात्रियों का विवरण होता है) में टेक-ऑफ के फौरन पहले बदलाव किए गए थे। यह संकेत दे रहे हैं कि कैप्टन जहारी ने विमान को क्रैश करने की योजना बनाई थी। अजीब बात यह है कि टेक-ऑफ से पहले किए गए बदलाव में सिर्फ कॉकपिट का ऑक्सीजन लेवल बढ़ाया गया।

सबूत भी प्लानिंग की ओर इशारा कर रहे
हार्डी ने कहा- रीयूनियन आईलैंड पर मिला फ्लैपरॉन भी इस ओर इशारा करता है कि उड़ान के अंत तक एक पायलट एक्टिव था। MH370 के फ्लैप (विंग पर लगी पत्तियां) नीचे थे। प्लेन को नीचे ले जाने के लिए पायलट ही इन्हें ऑपरेट करता है। इससे समझ आता है कि क्रैश प्लानिंग के तहत किया गया। पायलट ने पूरी कोशिश की पानी की सतह पर ईंधन न मिले। यही वजह है कि अब तक प्लेन की क्रैश साइट नहीं मिली।
हालांकि, अमेरिका के टेक्सास राज्य की एक कंपनी ओशन इनफिनिटी ने दावा किया है कि उनके पास MH370 विमान की क्रैश लोकेशन है। कंपनी ने मलेशियाई सरकार के सामने हिंद महासागर में नए सिरे से खोज शुरू करने का प्रस्ताव रखा है।

तस्वीर कुआलालंपुर के एयरपोर्ट की है, जहां आखिरी बार 8 मार्च 2014 को टेकऑफ से पहले MH370 विमान की जानकारी डिस्प्ले हुई थी।
दक्षिणी हिंद महासागर में हो सकती है क्रैश साइट
एक्सपर्ट हार्डी ने कहा- प्लेन अंतिम समय तक पायलट के कंट्रोल में था। उसने यू-टर्न लेने और विमान को क्रैश करने से पहले यात्रियों को बेहोश करने के लिए जानबूझकर केबिन में हवा का दबाव कम किया। इससे लोगों को सांस लेने में दिक्कत होने लगी। वे बेहोश होने लगे।
हार्डी ने कहा- मैंने सैटेलाइट इमेज को ध्यान से देखा है। मेरा मानना है कि मुझे क्रैश लोकेशन पता है। ये ऑफिशियल सर्च एरिया से बाहर है। क्रैश साइट दक्षिणी हिंद महासागर के गिल्विनक फ्रैक्चर जोन के आस-पास की खाई हो सकती है।
टेकऑफ के 38 मिनट बाद गायब हो गया था MH370
मलेशियाई एयरलाइंस का विमान MH370 8 मार्च 2014 को कुआलालंपुर से बीजिंग के लिए रवाना हुआ था। चीन के मीडिया साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक, इसमें 239 पैसेंजर सवार थे। टेकऑफ के करीब 38 मिनट बाद फ्लाइट रडार से गायब हो गई थी।
विमान की तलाश में 26 देशों के 18 शिप, 19 एयरक्राफ्ट और 6 हेलिकॉप्टर लगे हुए थे। महीनों तक सर्च ऑपरेशन्स चलाने के बाद 2017 में इस अभियान को आधिकारिक तौर पर बंद कर दिया गया। हालांकि, 2019 में अमेरिकी कंपनी ओशन इनफिनिटी ने फिर से तलाशी अभियान शुरू करने का ऐलान किया था।
एक्सपर्ट का मानना है कि उन्होंने दुनियाभर में रेडियो फ्रीक्वेंसी में हुई गड़बड़ी को ट्रैक करके विमान के अंतिम रास्ते का पता लगा लिया था। समुद्र के ऊपर विमान के रास्ते में हैरतअंगेज पैटर्न पाए गए। ऐसा तब होता है जब पायलट जानबूझकर एयरक्राफ्ट के इंजन को बंद कर दे।

तस्वीर उन पैसेंजर्स की है, जो MH370 फ्लाइट पर सवार थे।
विमान के गायब होने से जुड़ी कई पहेलियां
- एविएशन में एक उड़ता हुआ विमान दूसरे उड़ते हुए विमान की आड़ में छुप जाता है। तकनीक की भाषा में इसे सिंगल ब्लिप कहा जाता है। आशंका है कि मलेशिया का बोइंग विमान उस रोज कुछ इसी तरह से पूरी दुनिया की नजर से बचाकर किसी सीक्रेट जगह पर ले जाया गया हो।
- एक रूसी ने कहा था- कुआलालंपुर से बीजिंग के रास्ते पर निकले बोइंग विमान ने जैसे ही रास्ता बदला तो प्रशांत महासागर में तैनात अमेरिकी नेवी के रडार ने उसे पकड़ लिया। चेतावनी के बावजूद जब विमान अपने तय रास्ते पर नहीं लौटा तो अमेरिकी नेवी के विमानों ने उसे अपने कब्जे में कर लिया।
- विमान का रास्ता सीधा था, तो हो सकता है कि पायलट जहारी अहमद शाह ने उसे ऑटो-पायलट मोड पर रखा हो। इस दौरान ये भी दावा किया गया था कि विमान का संपर्क खुद नहीं टूटा था, बल्कि इसे तोड़ा गया था। फ्लाइट संख्या MH370 ने रात 12 बजकर 41 मिनट पर कुआलालंपुर से उड़ान भरी थी। ठीक 38 मिनट बाद विमान का ट्रांसपॉन्डर ऑफ हो गया। ATC उसी ट्रांसपॉन्डर के जरिए विमान और उसके रूट को जमीन से कंट्रोल करती है। जिस किसी ने भी विमान का ट्रांसपॉन्डर बंद किया वह जानता था कि ट्रांसपॉन्डर के बंद होते ही विमान रडार की नजरों से गायब हो जाएगा।
- विमान की तलाश में जुटे देशों ने इस आशंका को नजरअंदाज नहीं किया कि विमान के लापता होने में किसी तालिबानी संगठन का हाथ न हो और कहीं इस विमान को गुप्त तरीके से आतंकवादियों ने रडार की नजरों से बचाकर अफगानिस्तान के ठिकाने तक न पहुंचा दिया हो।