शुभम मरमट / उज्जैन.मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर में इन दिनों गधों का अनूठा मेला लगा है. हर साल उज्जैन में शिप्रा नदी के किनारे कार्तिक मेला ग्राउंड में एकादशी से कार्तिक पूर्णिमा तक गधों का मेला लगता है. सात दिन तक चलने वाले इस मेले में गधे के मालिक अपने गधों को लेकर आते हैं और बेचते हैं. इस साल भी मेले में अब तक कई गधों और खच्चरों की बोली लग चुकी है.
कार्तिक मास की एकादशी 23 नवंबर से पारंपरिक गधों का मेला शिप्रा तट पर लगाया जाएगा. मेले में पशुओं की खरीदी-बिक्री के लिए व्यापारी चार दिन पहले से ही खच्चर और गधों को लेकर यहां पहुंच गए हैं. हर साल की तरह यहां प्रदेश के कई जिलों से आने वाले व्यापारी खच्चर और गधों की खरीदी करेंगे.प्रतिवर्ष यहां मप्र के अलावा राजस्थान, महाराष्ट्र प्रांतों के व्यापारी पशुओं की खरीदी करने आते हैं. खास बात यह है कि उम्र के हिसाब से गधों की कीमत लगाई जाती है.उज्जैन नगर में पुराने समय से कार्तिक मेला मैदान के पास बड़नगर रोड पर एकादशी से पूर्णिमा तक पांच दिवसीय गधों व खच्चर का मेला लगता है. व्यापारी गधों को खूब सजा-धजाकर बेचने के लिए मेले में खड़े करते है. दूसरे जिलों से आने वाले व्यापारी मेले के लिए चार दिन पूर्व ही यहां पहुंच गए है.
इस बार इतनी है कीमत
मुन्नालाल प्रजापति पिछले 45 वर्षों से यहा पर गधे व खच्चर का व्यापार करते आ रहे हैं.उन्होंने बताया बुधवार तक यहां पर हजारों की संख्या में यहां यह जानवर देखने को मिलेंगे, इनको खरीदने अन्य राज्यों से व्यापारी आते हैं. इनकी कीमत उम्र के हिसाब से ताई होती है. इस बार 20000 की कीमत से लेकर 45000 की कीमत के जनवरी यहां पर बिकने आए हैं.
इसलिए लगता है मेला
स्थानीय लोगों का कहना है कि 16वीं शताब्दी में मुगल आक्रांता बादशाह औरंगजेब अपने काफिले के साथ चित्रकूट पर चढ़ाई करने आया था. यहां उसके काफिले में बहुत से घोड़े और गधे बीमारी से ग्रसित होकर मारे गए. काफिले में गधों की कमी होने पर उनकी पूर्ति के लिए स्थानीय स्तर पर पशु बाजार लगवाया गया था. तब से लेकर आज तक दीपावली के अगले दिन मंदाकिनी तट किनारे यह ऐतिहासिक गधा मेला लगता चला रहा है.
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FIRST PUBLISHED : November 21, 2023, 22:57 IST