उन्नाव की इस्कॉन गौशाला मे गाय की विदेशी नस्ल हैं आकर्षण का केंद्र

निखिलेश प्रताप सिंह/उन्नाव. सदर क्षेत्र के खवाजगीपुर करोवन में स्थापित और अंतरराष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ (इस्कॉन) की गौशाला देशी नस्ल की गायों के संरक्षण के साथ गौ आधारित कृषि को बढ़ावा देकर धरती माता की हालत सुधारने की दिशा में काम कर रही है. तीन वर्षों से संचालित इस गौशाला में विभिन्न किस्मों की देशी नस्ल की गाय लोगों में आकर्षण का केंद्र हैं.

मौजूदा समय में यहां पशु पालक गायों को दूध दुहने के बाद खुला छोड़ देते है, ऐसे में इस गौशाला में पल रहे विभिन्न नस्लों के 160 गोवंश किसी नजीर से कम नहीं हैं. खास बात यह है कि 15 एकड़ में बनी इस गौशाला में पालित गोवंशो के अलावा सेवादारों के पेट भरने का इंतजाम, परिसर में होने वाली खेती से ही होता है. जिसमें यहीं पर पले गोवंशों का गोबर खाद के रूप में प्रयोग किया जाता है. हालांकि, जिन उद्देश्यों के साथ इसका शुभारंभ हुआ था उन्हें पूरा होने में अभी और समय लगेगा.

गौ आधारित खेती को दिया बढ़ावा
गौशाला के प्रबंधक श्रीकुमार दास बताते हैं कि अंतरराष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ (इस्कॉन) ने नवंबर 2020 में गोपाष्टमी के मौके पर सदर के सिकंदरपुर सरोसी ब्लाक के अवस्थीखेड़ा मजरे खवाजगीपुर में भक्ति वेदांत वैभव गोशाला का शुभारंभ किया था. इस गौशाला को खोलने के पीछे उद्देश्य गाय और धरती माता का स्वास्थ्य सुधारने के अभियान पर जोर देना बताया गया था. संस्था के लोगों ने दावा किया था कि समाज को समृद्धिशाली बनाने के लिए गाय को बछड़े और इन दोनों को धरती से जोड़े जाने की आवश्यकता है. यह तय हुआ था कि इसके आस पास के सात गांवों को गोद लेकर गो आधारित खेती को बढ़ावा दिया जाएगा. किसानों को आर्थिक रूप से संपन्न कराने के लिए उन्हें उन्नत नस्ल की गायों के जरिए पशुपालन करने को प्रेरित करेगा.

गो मूत्र से निर्मित अर्क की होगी बिक्री
श्रीकुमार दास ने बताया कि हमारे प्रयास निरंतर जारी हैं. मौजूदा समय में हमारे पास साहीवाल, गिरि, थारपारकर और एक देशी नस्ल समेत चार प्रजातियों के 160 गोवंश हैं. गौशाला की भूमि में ही गौवंशो के लिए हरा चारा उगाया जाता है. जिसमें इन्ही के गोबर को खाद के रूप में प्रयोग किया जाता है. जगन्नाथ भगवान का विग्रह रखा है आने वाले समय में मंदिर का भी निर्माण कराया जाएगा. इसके अलावा गौशाला की उत्पादकता बढ़ाते हुए गोबर से निर्मित खाद और गो मूत्र से निर्मित अर्क बना कर उसकी बिक्री कराई जाएगी. उन्होंने सभी किसानों से अपील भी की है कि कम से कम एक गाय अवश्य पाले और उसकी सेवा करें.

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