उत्तराखंड पुलिस का अभियान ‘ऑपरेशन मुक्ति’, भीख मांगने वाले बच्चों का होगा स्कूलों में दाखिला

सोनिया मिश्रा/ चमोली. अक्सर सड़कों पर आपने कई बच्चों को भीख मांगते या लोगों के पीछे दौड़ती हालत में देखा होगा. लगातार बढ़ते जा रहे बाल भिक्षावृत्ति को खत्म करने के लिए उत्तराखंड पुलिस ‘ऑपरेशन मुक्ति’ नाम से अभियान चला रही है. भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों को भिक्षावृत्ति के दलदल से मुक्त कर शिक्षा की ओर अग्रसर करने एवं उनके पुनर्वास हेतु नियमानुसार कार्यवाही करने हेतु ‘भिक्षा नहीं, शिक्षा दें, और ‘सपोर्ट टू एजुकेट अ चाइल्ड’ की थीम पर प्रदेश के सभी जिलों में ऑपरेशन मुक्ति अभियान शुरू किया गया है.

चमोली की एसपी रेखा यादव ने कहा कि ऑपरेशन मुक्ति अभियान को सफल बनाने के लिए सभी को जागरूक होने की जरूरत है.बच्चों को भिक्षावृत्ति से मुक्त करने के साथ शिक्षा के लिए प्रेरित करने के लिए सभी लोगों को जागरूक करने के लिए जनपद स्तर पर ऑपरेशन मुक्ति की टीम का गठन किया गया है, साथ ही विभागों के साथ चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, महिला एवं बाल विकास, चाइल्ड हेल्पलाइन के पदाधिकारियों एवं जिले की ऑपरेशन मुक्ति टीम के सदस्यों के साथ बैठक का आयोजन किया गया है.

2019 में शुरू हुआ था अभियान
एसपी रेखा यादव ने कहा कि साल 2019 में उत्तराखंड पुलिस और बाल संरक्षण आयोग ने प्रदेश में ऑपरेशन मुक्ति चलाया था, जिसमें सड़कों पर भीख मांगने वाले बच्चों का सत्यापन कर उन्हें भीख मांगने से रोका गया और शिक्षा के प्रति जागरूक किया गया था . इस मुहिम के दौरान कई बच्चों के सरकारी स्कूलों में दाखिले भी करवाए गए. उनकी पढ़ाई लगातार जारी है.

भीख मांगना है कानूनी अपराध
एसपी रेखा यादव ने कहा कि आईपीसी की धारा 133 में भीख मांगने को पब्लिक न्यूसेंस मानते हुए दंड का प्रावधान है. साथ ही भिक्षावृत्ति निवारण अधिनियम के तहत भिक्षावृत्ति करने वाले को पहली बार पकड़े जाने पर दो वर्ष और दूसरी बार में पकड़े जाने पर 10 साल की सजा का प्रावधान है. इस कानून को लागू कर भिक्षावृत्ति रोकने की जिम्मेदारी पुलिस के साथ सामाजिक न्याय विभाग और बाल संरक्षण आयोग की भी है.

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