उत्तराखंड के पहाड़ों में पांडव नृत्य की धूम…गांवों और चौराहों पर लौटी रौनक, जानें रोचक इतिहास

सोनिया मिश्रा/ रुद्रप्रयाग. इन दिनों देवभूमि उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में लगभग हर चौक पर पांडव लीला या पांडव नृत्य (Pandava Nritya) का आयोजन हो रहा है, जिसमें पहाड़ के लोग बड़े उत्साह के साथ भाग ले रहे हैं. इसमें प्रवासी लोग भी शामिल हो रहे हैं, जिससे गांव की सूनी पड़ी चौक और तिबारियां फिर से शोरगुल सुनाई दे रहा हैं.

पांडवों का उत्तराखंड के गढ़वाल से गहरा नाता रहा है. मान्यता है कि महाभारत के युद्ध के बाद पांडवों के ऊपर कुल के लोगों की हत्या का दोष लग गया था, जिसके पश्चाताप के लिए वह भोलेनाथ की शरण में जाना चाहते थे. भोलेनाथ उनसे नहीं मिलना चाहते थे, इसलिए वह पांडवों से मिलने से बच रहे थे. पांडव भी उनकी खोज में देवभूमि उत्तराखंड आ गए. जिन-जिन स्थानों से होकर पांडव गुजरे, उन स्थानों में पांडव लीला का आयोजन किया जाता है.

स्कंदपुराण में मिलता है पांडवों का इतिहास
स्कंदपुराण में केदारखंड में गढ़वाल में पांडवों का इतिहास मिलता है. पांडव नृत्य के माध्यम से आज भी ग्रामीण पौराणिक संस्कृति को संजोए रखने के लिए पांडव लीला का आयोजन करते हैं. इससे आने वाली पीढ़ी भी अपनी पौराणिक संस्कृति से रूबरू होती है. इसका आयोजन गढ़वाल के कई इलाकों में नवंबर से फरवरी माह तक किया जाता है

इन गांवों में होता है आयोजन
पांडव लीला या पांडव नृत्य के आयोजन के पीछे की वजह ग्रामीण बताते हैं कि इस दौरान किसानों के खेती के लगभग सभी काम खत्म हो जाते हैं, तब रुद्रप्रयाग जिले के पुनाड़, दरमोला, खतेणा, बेंजी, कांडई, तिलणी, ऊखीमठ, मेदनपुर, जवाडी, डडोली, त्यूंखर, जखोली, गुप्तकाशी, बुढना गांव में पांडव लीला आयोजित की जाती है.

डॉ. विलियम की पुस्तक में है रोचक वर्णन
जानकार प्रमोद सेमवाल बताते हैं कि देवभूमि के ग्रामीण गांव की खुशहाली और सौहार्द के लिए पांडव नृत्य का आयोजन करते हैं. इन आयोजनों में पांडव पश्वों (अवतारी पुरुष) के बाण निकालने का दिन, धार्मिक स्नान, मोरु डाली, मालाफुलारी, चक्रव्यूह, कमल व्यूह, गरुड़ व्यूह आदि सम्मिलित हैं. पांडव नृत्य में कुल 13 पश्वा होते हैं. इनमें द्रौपदी, भगवान नारायण, युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल, सहदेव, हनुमान, अग्नि बाण, मालाफुलारी, भवरिक व कल्याल्वार शामिल हैं. नृत्य में इन सबका अहम योगदान रहता है. डॉ. विलियम की पुस्तक ‘डांसिंग विद सेल्फ’ में पांडव नृत्य के हर पहलू को बड़े ही रोचक ढंग से दिखाया गया है.

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