उत्तराखंड के नैनीताल में भूस्खलन से ढह गया दो मंजिल का मकान

इस घटना में कोई हताहत नहीं हुआ क्योंकि लगभग एक दर्जन कमरों वाला घर उसके ढहने से पहले ही खाली कर दिया गया था. नैनीताल के मल्लीताल इलाके में आसपास के घरों को भी अब खाली कराया जा रहा है.

इस महीने की शुरुआत में राज्य विधानसभा को बताया गया था कि इस साल उत्तराखंड में बारिश से संबंधित आपदाओं ने 111 लोगों की जान ले ली है और 45,650 परिवार प्रभावित हुए हैं.

प्राकृतिक आपदाओं के कारण 111 लोगों की मौत

संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि भारी बारिश के कारण हुई प्राकृतिक आपदाओं के कारण 111 लोगों की मौत हो गई और 72 लोग घायल हो गए. आपदाओं से 45,650 परिवार भी प्रभावित हुए, जिन्हें 30.40 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता दी गई है. उन्होंने विधानसभा में विपक्ष के एक सदस्य के सवाल का यह जवाब दिया था.

मानसून के मौसम के दौरान बाढ़ और भूस्खलन आम बात है और इससे बड़े पैमाने पर तबाही होती है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन से इस तरह की घटनाएं और इनकी गंभीरता बढ़ रही है.

ग्लोबल वार्मिंग के कारण मौसम प्रणालियों में टकराव

वैज्ञानिकों ने इस मानसून सीजन में मूसलाधार बारिश के लिए ग्लोबल वार्मिंग के कारण उत्पन्न मौसम प्रणालियों के टकराव को जिम्मेदार ठहराया है, जिसने देश के हिमालयी राज्यों – हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड को प्रभावित किया है. इस मानसून सीजन में सैकड़ों लोग मारे गए और करोड़ों रुपये की क्षति हुई है.

पश्चिमी विक्षोभ के साथ मानसून प्रणाली के अभिसरण के बाद दोनों राज्यों में बारिश हुई. एक मौसम प्रणाली जो भूमध्य सागर में उत्पन्न होती है और पूर्व की ओर बढ़ती है, वह नमी से भरी हवाएं लाती है जो हिमालय में सर्दियों में बारिश और बर्फबारी का कारण बनती है.

कम अवधि में हो रही भारी बारिश

नई दिल्ली में भारत मौसम विज्ञान विभाग के क्षेत्रीय केंद्र के प्रमुख कुलदीप श्रीवास्तव ने कहा, “इसे दो शक्तिशाली प्रणालियों की टक्कर के रूप में देखें.” उन्होंने कहा, “इससे काफी बारिश होती है या बादल भी फट जाते हैं… हम पिछले कुछ सालों में देख रहे हैं कि कम समय तक भारी बारिश होती है.”

मौसम कार्यालय के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत के हिमालयी राज्यों हिमाचल प्रदेश और पड़ोसी उत्तराखंड में प्रति दशक बहुत भारी से अत्यधिक भारी वर्षा वाले दिनों की संख्या पिछले दशक के 74 से बढ़कर 2011 और 2020 के बीच 118 हो गई है.

मानसून दक्षिण एशिया में लगभग 80 प्रतिशत वार्षिक वर्षा लाता है और यह कृषि और लाखों लोगों की आजीविका दोनों के लिए महत्वपूर्ण है. लेकिन यह हर साल भूस्खलन और बाढ़ के रूप में विनाश भी लाता है.

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *