उत्तराखंड की ‘पिरूल वुमेन’ को पीएमओ ऑफिस से आई चिट्ठी! प्रधानमंत्री मोदी को भेजी थी राखी

हिना आज़मी/ देहरादून. उत्तराखंड राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में तकरीबन 500 से 2200 मीटर की ऊंचाई पर चीड़ के पेड़ पाए जाते हैं. जिनकी पत्तियों को पिरूल कहा जाता है. इन्हें पहाड़ी इलाकों के लिए अभिशाप माना जाता है क्योंकि यह पत्तियां वनाग्नि का मुख्य कारण मानी जाती है. चीड़ की यह नुकीली पत्तियां जनवरी के महीने से ही जंगल में चादर की तरह बिछ जाती हैं और तापमान बढ़ते ही यह धधकने लगती हैं.जंगल को दहकाने वाली इन पत्तियों से महिलाओं का रोजगार लहलहाने लगा है.

क्या आप यकीन कर पाएंगे कि इन पत्तियों से कोई खूबसूरत आभूषण और सजावटी सामान बन सकता है? जी हां, उत्तराखंड के पहाड़ी लोगों के लिए नामुमकिन कुछ भी नहीं है. उत्तराखंड की मंजू शाह ने लोगों को अपने इस हुनर से चौंका दिया. इतना ही नहीं, पीएमओ ऑफिस से भी उनके लिए चिट्ठी आई. दरअसल, उन्होंने पीएम मोदी के लिए पिरूल की राखी बनाकर भेजी थी, जिसके जवाब में खत आया था. अब इस हुनर को मंजू लोगों को सिखा रही हैं. उन्हें पिरूल वुमेन भी कहा जाने लगा है.

बचपन से ही वेस्ट मैटेरियल और हैंडीक्राफ्ट बनाने का था शौक
उत्तराखंड के अल्मोड़ा जनपद के द्वाराहाट गांव की रहने वाली मंजू शाह को आज लोग पिरूल वुमेन के नाम से जानते हैं. इसके लिए उन्होंने कहीं बाहर से ट्रेनिंग नहीं ली बल्कि पिरूल पर अपने नए-नए प्रयोग से वह यह काम कर लेती हैं. मंजू ने बताया कि उन्हें बचपन से ही वेस्ट मैटेरियल और हैंडीक्राफ्ट बनाने का शौक था. वह जब बीएड कर रही थीं, तब भी वह अपने प्रोजेक्ट वेस्ट मैटेरियल से तैयार करती थीं.

खाली महिलाओं को दिया रोजगार
उन्होंने बताया कि शादी के बाद एक दिन जब वह अपने मायके आईं, तो उन्होंने अपनी मां द्वारा बनाए गए पिरूल के फूलदान को देखा तो उनके दिमाग में आया क्यों न इसी पर जुटा जाए. उन्होंने कहा कि उन्होंने इस पर काम करना शुरू किया और जो महिलाएं खाली समय में बैठकर बातचीत करती थीं. उनको भी इस काम में लगा लिया ताकि खाली वक्त को अपने रोजगार के लिए लगाया जाए.

टी कोस्टर, पिरूल ज्वेलरी से लेकर राखी तक बना देती हैं मंजू शाह
उत्तराखंड की पिरूल वुमेन पिरूल से राखी, टोकरी, फ्लावर पॉट, आसन, पेन स्टैंड, टी कोस्टर, डोरमैट, पूजा थाल, गुड़िया, मोबाइल चार्जिंग होल्डर्स, मल्टी पर्पस बास्केट और पिरूल ज्वेलरी जिनमें ईयरिंग्स, हैंड रिंग और बैंगल भी बना देती हैं. मंजू न सिर्फ खुद यह काम करती हैं बल्कि महिलाओं और स्कूली बच्चों को ट्रेनिंग भी देती हैं. मंजू बताती हैं कि रक्षाबंधन पर इस बार पिरूल की राखियों की बहुत डिमांड रही. उन्होंने महिलाओं के साथ मिलकर हजारों राखियां तैयार की थीं. इससे बने सामान के लिए उनके पास विदेशों से भी ऑर्डर आते हैं.

प्रधानमंत्री मोदी को भेजी थी पिरूल की राखी
उत्तराखंड की पिरूल वुमेन मंजू शाह ने बताया कि उन्होंने इस साल रक्षाबंधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पिरूल से राखी बनाकर भेजी थी. जिसके बाद पीएमओ दफ्तर से उनके पास एक लेटर भेजा गया था, जिसमें उनके प्रति आभार व्यक्त किया गया था.

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