सोनिया मिश्रा/रूद्रप्रयाग. उत्तराखंड को देवभूमि, स्वर्गभूमि, मंदिरों की भूमि कहा जाता है. क्योंकि यहां कई मंदिर हैं जिनकी अपनी पौराणिक मान्यताएं हैं. उन्हीं में से एक है हरियाली देवी मंदिर. जहां प्रसाद स्वरूप मिलने वाली हरियाली (शुभ का प्रतीक) का विशेष महत्व है.
रुद्रप्रयाग जिले के जसोली गांव में मां हरियाली देवी का मंदिर स्थित है .जहां मां को योगमाया, धन की देवी के रूप में पूजा जाता है. मंदिर में हरियाली (हरे रंग के पौधों) का विशेष महत्व है. मंदिर में आने वाले सभी भक्तों को नवमी के दिन बोई गई हरियाली को निकालकर प्रसाद स्वरूप दिया जाता है. ऐसा माना जाता है कि जब महामाया देवकी की सातवीं संतान के रूप में गर्भ में आई तो कंस ने उसे जमीन पर पटक दिया. और उसके बाद उस कन्या का शरीर कई हिस्सों में बिखर गया. जिसके बाद मां के शरीर का एक हिस्सा मंदिर के नजदीक ही हरियाली कांठा नामक स्थान पर पड़ा था.
क्या है यात्रा में शमिल होने की शर्त ?
मां का जसोली में ससुराल एवं जंगल में स्थित कांठा मंदिर में मायका माना जाता है. धनतेरस पर मां हरियाली की डोली को जसोली से सात किलोमीटर दूर मायके हरियाली कांठा ले जाया जाता है. इस यात्रा में भाग लेने वाले सभी श्रद्धालु एक हफ्ते पहले से ही तामसिक भोजन मीट-मांस, शराब, अंडा, प्याज और लहसुन का सेवन करना बंद कर देते हैं. इस यात्रा में सिर्फ पुरुष श्रद्धालु ही भाग ले सकते है.
कृष्ण जन्माष्टमी के बाद लगता है 3 दिन का मेला
मंदिर के पुजारी विनोद प्रसाद मैठाणी बताते हैं कि हरियाली देवी मंदिर में हरियाली (नवरात्रि में बोई जाती है) का विशेष महत्व है. क्योंकि सनातन धर्म में हरियाली को शुभ माना जाता है. इसलिए मंदिर में रक्षाबंधन के समय पूर्णमासी के दिन हरियाली बोई जाती है. नवमी तिथि को मंदिर में प्रवेश करने वाले श्रद्धालुओं को प्रसाद स्वरूप इसी हरियाली को दिया जाता है. साथ ही बताते हैं कि यहां प्रतिवर्ष कृष्ण जन्माष्टमी के बाद इस क्षेत्र में 3 दिन का विशेष मेला लगता है. जिसमें सभी ग्रामीण माता के दर्शनों के लिए लंबी लंबी कतारों में आते हैं और भक्त यहां देश विदेश से अपनी मनचाही इच्छा को पाने के लिए पहुंचते हैं.
हरियाली देवी कैसे पहुंचे?
हरियाली देवी मंदिर उत्तराखंड के सभी राज्य और राष्ट्रीय राजमार्गों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है. आप यहां टैक्सी या अपने निजी वाहनों से पहुंच सकते हैं. हरियाली देवी मंदिर तक पहुंचने का मुख्य मार्ग सबसे पहले आपको रुद्रप्रयाग और फिर नगरासु गांव तक पहुंचना होगा. जो रुद्रप्रयाग और गौचर के बीच स्थित है. नगरासु गांव से हरियाली देवी के लिए सड़क के लिए मोड़ दिया गया है जहां से आप मंदिर तक पहुंच सकते हो. हालांकि यह वायु मार्ग और ट्रेन की सुविधा उपलब्ध नहीं है.
.
Tags: Chamoli News, Dharma Aastha, Local18, Uttarakhand news
FIRST PUBLISHED : September 09, 2023, 17:33 IST