उत्तराखंड: अदालत के आदेश के बाद देहरादून के ऐतिहासिक ‘काबुल हाउस’ से 17 परिवारों को निकाला गया

‘काबुल हाउस’ में दशकों से रह रहे 17 परिवारों को अदालत के आदेश के बाद बृहस्पतिवार को बेदखल करना शुरू हो गया।
‘काबुल हाउस’ में अफगानिस्तान के निर्वासित राजा मोहम्मद याकूब खान 1879 से 1923 तक रहे थे। याकूब खान का 1923 में निधन हो गया।
यहां ईसी रोड पर 19 बीघा जमीन में फैली और अनुमानित तौर पर 400 करोड़ रुपये से अधिक कीमत की ऐतिहासिक इमारत को विभाजन के बाद ‘‘शत्रु संपत्ति’’ घोषित कर दिया गया था, जब राजा के वंशज पाकिस्तान चले गए थे।
जिला प्रशासन और निवासियों के बीच 40 साल की कानूनी लड़ाई के बाद बेदखल करने की कार्रवाई शुरू हुई। सिटी मजिस्ट्रेट प्रत्यूष सिंह ने कहा कि जिला अदालत के आदेश के बाद बेदखली की गई और उन्हें परिसर खाली करने के लिए अग्रिम नोटिस दिया गया था।

हालांकि, ‘काबुल हाउस’ के निवासियों ने दावा किया कि दो सप्ताह के भीतर इमारत खाली करने का अदालती नोटिस उन्हें देर से दिया गया और उनके पास इसे खाली करने के लिए पर्याप्त समय नहीं था। उन्होंने कहा कि बृहस्पतिवार को जब पुलिसकर्मी उन्हें बाहर निकालने के लिए इमारत में पहुंचे तो वे हैरान रह गए।
शहर के मध्य में स्थित ‘काबुल हाउस’ की निवासी बीना कुमारी ने कहा, ‘‘उन्होंने इमारत से हमारा सामान हटाना शुरू कर दिया और परिसर को सील कर दिया। वहां बच्चे और बुजुर्ग थे, जिन्हें अचानक कार्रवाई के कारण बहुत परेशानी हुई।’’
उन्होंने कहा, ‘‘नोटिस में हमें दो सप्ताह के भीतर इमारत खाली करने के लिए कहा गया।

यह 17 अक्टूबर को जारी किया गया था, लेकिन हमें पूजा की छुट्टियों के दौरान 25 अक्टूबर को देर रात नोटिस दिया गया, जब परिसर खाली करना मुश्किल था।’’ कुछ परिवारों ने इमारत खाली करने की दो सप्ताह की समय सीमा एक दिसंबर तक बढ़ाने का अनुरोध करते हुए उत्तराखंड उच्च न्यायालय का रुख किया है। उन्होंने दावा किया कि उच्च न्यायालय पहले ही उन्हें समय विस्तार दे चुका है।
उच्च न्यायालय के समय बढ़ाने के आदेश के बारे में पूछे जाने पर सिटी मजिस्ट्रेट ने बताया कि प्रशासन को अभी तक कोई आदेश नहीं मिला है इसलिए कार्रवाई की जा रही है।

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