उत्तरकाशी में टनल में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए मशक्कत लगातार जारी है। टनल में फंसें 41 मजदूरों के जीवन पर संकट लगातार मंडरा रहा है। हालांकि रेस्क्यू टीम नए-नए तरीके खोज कर टनल से मजदूरों को बाहर निकालने की पुरजोर कोशिश में जुटी हुई है।
हर सुबह की किरण यह उम्मीद लेकर आती है कि शायद 41 मजदूर आज बाहर आ जाएंगे लेकिन अब तक यह खुशखबरी देश की जनता को नहीं मिल सकी है। हर बीते दिन के साथ लोगों की उम्मीदें लगातार बढ़ती जा रही है।
इसी कड़ी में शनिवार 25 नवंबर को भी मजदूरों को निराशा का सामना करना पड़ा जब रिस्क में लगी अमेरिका से आई ओर्गर मशीन ने जवाब दे दिया। मशीन का ब्लेड खराब होने के कारण वह काम नहीं कर सकी। मशीन खराब होने के बाद माना जा रहा है कि वर्टिकल ड्रिलिंग के जरिए काम आगे बढ़ाया जाएगा। मजदूरों को बहार निकालने के लिए एक ही विकल्प बचा है कि पहाड़ के ऊपर से ड्रिल किया जाए और मजदूरों की जान बचाई जाए। वर्टिकल ड्रिलिंग करने के लिए बड़ी मशीन भेजी जा रही है।
जाने वर्टिकल ड्रिल के बारे में
मजदूरों की जान बचाने के लिए अब वर्टिकल ड्रिल की जाने की तैयारी है। आईआईटी गुवाहाटी में सिविल इंजीनियरिंग के सहायक प्रोफेसर विवेक पद्मनाभ ने आजतक को बताया कि सुरंग बनाने के दौरान मिट्टी और चट्टानों पर दबाव पड़ता है। यह एक तरह का भू दबाव है जिससे संतुलन बिगड़ता है। टनल में मजदूरों की जान बचाने के लिए अब वर्टिकल ड्रिलिंग की जाएगी जिसमें पृथ्वी की सतह के नीचे अर्थ शाफ्त बनाते हुए होल किए जाते है। इन होल की मदद से वेंटिलेशन और संचार हो पाता है।
पहाड़ों पर ऑपरेशन चलाना कठिन
पिछले 13 दिनों से उत्तरकाशी सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बचाने के अभियान में बार-बार आ रही रुकावटों के बीच, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन (सेवानिवृत्त) ने कहा कि पहाड़ों पर काम करते समय कुछ भी भविष्यवाणी करना बहुत मुश्किल है। हालांकि, अच्छी खबर यह है कि अंदर फंसे मजदूरों की हालत स्थिर है और वे बाहर डेरा डाले अपने रिश्तेदारों से बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमें थोड़ा धैर्य रखना पड़ेगा। काम करने वालों पर किसी प्रकार का दवाब नहीं डालना है। याद रखना है कि जहां भी काम हो रहा है वे खतरनाक है।